रायपुर। नवरात्रि महापर्व पर माता रानी की पूजा अर्चना करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में बताए गए मां के 9 स्वरूपों का अपना एक विशेष महत्व होता है. आज नवरात्रि के सातवां दिन मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, मां के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह काला है.सिर के बाल बिखरे हुए हैं गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला हैं. लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं इसी कारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है. दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. मां कालरात्रि अपने भक्तों को दुष्टों से बचाने वाली हैं. दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है. इनकी उपासना से उपासक के समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है

मां कालरात्रि की पूजा विधि-

नवरात्रि के सातवें दिन सुबह नित्यकर्म निपटाने के बाद सबसे पहले नहा धोकर पूजा की चौकी पर काले रंग का कपड़ा बिछाएं. इसके बाद चौकी पर मां कालरात्रि की प्रतिमा को स्थापित करें. पूजा शुरू करने से पहले मां कालरात्रि को लाल रंग की चूनर ओढ़ाएं. इसके बाद मां को श्रंगार का सामान चढ़ाएं. श्रंगार का सामान चढ़ाने के बाद मां के सामने दिया जलाकर मां की पूजा अर्चना करें.

मां कालरात्रि का मंत्र-

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:

क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा .

देवी कालरात्रि का ध्यान

करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।

कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥

दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघो‌र्ध्व कराम्बुजाम्।

अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥

महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।

घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।

एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृद्धिदाम्॥