आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. आप जितनी भी क्रूर परिस्थितियों की परिकल्पना कर सकें, बस्तर में उससे भी क्रूर हक़ीक़त मौजूद है. ईश्वर ने इस युवक को एक ख़ूबसूरत चेहरा दे कर भेजा था, लेकिन नक्सलियों के बारूद ने इसका रूप बदल दिया. ये बस्तर के अंदरूनी इलाक़ों के हालात का असली चेहरा है.

 

 

ऊपर जो युवक दिखाई दे रहा है, यह सुकमा के चिंतागुफा का रहने वाला 21 वर्षीय नवयुवक राहुल है. नक्सलियों द्वारा 14 नवंबर को लगाए गए प्रेशर बम की चपेट में आकर इसका एक पैर और दोनों आंखें खराब हो गई. अब न तो यह आंख से देख पाता है, और न ही पैर से ठीक से चल पाता है. जगदलपुर के मेडिकल कोलेज अस्पताल में इसकी नवविवाहिता पत्नी युवक की देखभाल कर रही है. आज नक्सलियों के लगाए गए प्रेशर बम से आंख से अंधा और पैर से अपाहिज हो चुका राहुल केवल शारीरिक पीड़ा झेल रहा है, लेकिन उसके साथ उसका पूरा परिवार शारीरिक, मानसिंक और आर्थिक परेशानियों से गुजर रहा है.

निशाना जवानों पर, शिकार हो रहे ग्रामीण

हमेशा की तरह नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाने के लिए आईईडी लगाते रहे हैं, लेकिन इसकी चपेट में ग्रामीण और जानवर आते रहते हैं. राहुल सोढ़ी में ऐसे में लोगों में शामिल है, जो रोज की तरह गायों को लेकर खेत की ओर गया था. गाय को चराते उसे प्यास लगी तो वह पानी पीने नाले की ओर जाने लगा, तभी अचानक उसका पैर खेत की मेड़ पर नक्सलियों द्वारा लगाए प्रेशर बम पर पड़ा और पल भर में ही विस्फोट के साथ वह हवा में उछला और फिर नीचे आ गिरा. इस विस्फोट में उसका दायां पैर उड़ गया, जबकि आंखों के आगे हमेशा के लिए अंधेरा छा गया. धमाके की आवाज गांव और थाने तक आई, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची, किसी तरह घायल राहुल को पहले सुकमा फिर सुकमा से उसे सरकारी एंबुलेंस में जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया.

अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद भी राहत नहीं

जगदलपुर मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए उसे रायपुर के अंबेडकर हास्पिटल भेजा. अंबेडकर हॉस्पिटल में उसका इलाज नहीं हो पाया तो वहां से उसे एम्स, रायपुर भेज दिया गया. एम्स के डॉक्टरों के इसका इलाज दिल्ली में हो पाने की बात कही और उसे वापस अंबेडकर हॉस्पिटल भेज दिया. रायपुर के हॉस्पिटल में उसका इलाज नहीं हो पाया तो उसका भाई सोड़ी लखमा और पत्नी देवे उसे लेकर फिर जगदलपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया, जहां उसका ऑपरेशन कर घुटना के नीचे पैर काट दिया गया. डॉक्टरों ने कह दिया कि आंख का इलाज नहीं हो पाएगा, इसलिए अब यह परिवार गांव लौटने की तैयारी में है.

आईजी ने कहा शासन-प्रशासन करेगा पूरी मदद

आईजी विवेकानंद ने कहा कि नक्सलियों के अमानवीय कृत्य का यह सबसे बड़ा उदाहरण है. एक हंसता-खेलता आदिवासी परिवार एक झटके में तबाह हो गया. जबकि ये अपने आपको आदिवासियों का हितैषी बताते हैं. राहुल के परिवार को हर संभव मदद दी जाएगी. उसके इलाज के लिए शासन-प्रशासन पूरा सहयोग करेगा. किसी बड़े नेत्र चिकित्सालय में जहां उसकी आंखों का इलाज हो सके भेजा जाएगा.