पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। पीएलजीए स्थापना सप्ताह के अंतिम दिन 8 दिसंबर को नक्सलियों ने पिपलखुटा में आगजनी की अंजाम दिया. वसूली के एक बड़े ठिकाने से पुलिस के खदेड़े जाने से नाराज नक्सलियों ने लोगों में खत्म हो गए खौफ को फिर से जिंदा करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया है. लेकिन पुलिस ने भी नक्सलियों को दोबारा पैर नहीं जमाने देने के लिए कमर कसकर रखी है.

बता दें कि गरियाबन्द जिले में 2011 से उदंती, सीतानदी, गोबरा व सोनाबेड़ा एलओएस सक्रिय था. 2018 व 19 में गरियाबन्द पुलिस ने लगातार हमलावर होकर बड़ा चेन व कॉरिडोर को तोड़ने में सफलता हासिल किया था. उसी दरम्यान नक्सलियों के उगाही से जुड़े चौकाने वाले खुलासे हुए थे.

मिले दस्तावेजों से पता चला कि केवल (मैनपुर एरिया कमेटी) उदंती, सीता नदी अभयारण्य एलओएस तेंदूपत्ता के एक सीजन में 3 करोड़ की वसूली कर लेता था. जिले के दो अन्य इलाके को मिला कर यह आंकड़ा ज्यादा हो जाएगा.

2018 में नगरी एरिया कमेटी सचिव जो गोबरा एलओस का भी कमान संभालता था, 8 लाख का इनामी मुईबा को अभयारण्य इलाके में एसआईबी ने पकड़ा था, वारदात का अपराध मैनपुर थाने मे दर्ज था. इसलिए मुईबा को गरियाबन्द पुलिस के हवाले कर दिया गया. तब पुलिस ने अहम जानकारी हासिल कर नक्सल नेटवर्क को ध्वस्त किया था. मुईबा से एके-47 व ढाई लाख रुपये बरामद किया था.

हर बार दिया मुंहतोड़ जवाब

1 मई 2018 को आमामोरा में नक्सलियों के एम्बुस से दो जवान शहीद हुए थे. सप्ताह भर के भीतर नक्सल ऑपरेशन इंचार्ज भापेंद्र साहू की अगुवानी में सघन सर्चिंग ऑपरेशन चलाया गया. पंडरीपानी के जंगल में कमांडर सेवक राम को ढेर कर दिया गया. उस इलाके में नक्सलियों का नेतृत्व कर रही ललिता से इसी दरम्यान अमाड़ समेत अन्य इलाकों में मुठभेड़ हुई. जुगाड़ पुलिस टीम पर हमला का आरोपी 24 घण्टे में धरा गया था. 17 मई 2018 को जुगाड़ की सर्चिंग टीम पर सोनाबेड़ा कमेटी ने हमला किया था, जवाब में सुपर 30 ने टेक्निकल टीम के एक्सपर्ट ने 18 मई 2018 को टेक्निकल एक्सपर्ट अर्जुन को गिरफ्तार कर तकनीकी क्षमता को ही ध्वस्त कर दिया गया था.

तराझर से मिला हथियारों का जखीरा

2019 साल खत्म होने से पहले ललिता नदारत हो गई. मारे जाने का हल्ला भी हुआ, लेकिन इसकी पुष्टि तो नहीं हुई पर दोबारा दिखी भी नहीं. 18-19 में उदंती अभयारण्य इलाके का सत्यम गावड़े लीड कर रहा था, लेकिन उसे वापस बस्तर बुला लिया गया. वर्ष 2019 में इस तरह नक्सली बैकफुट पर चले गए.

दिसम्बर में जेसीबी फूंक कर दिया था आमद

अप्रैल 2019 से माहौल शांत था, लेकिन माहौल देख कर मई 2020 में तेंदूपत्ता ठेकेदार को वसूलने के फिराक में सक्रिय हुए. 29 नवम्बर 2020 को भेसमूड़ी में रास्ता रोक बम लगाया गया. फिर 8 दिसम्बर 2020 में पिपरछेड़ी के झरझरा में जेसीबी फूंक कर आमद भी दिया, लेकिन इस दरम्यान कोई बड़ा ऑपरेशन नहीं चलाया गया. देखते ही देखते नक्सलियों ने फिर से पांव जमा लिया.

पोस्टर चिपकाकर, बम लगाकर खौफ पैदा करने का काम

इस साल 9 अगस्त 2021 को अभयारण्य में बने वन भैंस रेस्क्यू सेंटर के झोपड़ी को आग लगा दी. 4 मर्तबे अलग-अलग रास्तों पर पेड़ काट कर रास्ता रोका, काटे गए पेड़ में बम लगाकर, पोस्टर चिपका कर बम होने की जानकारी देकर खोई हुई खौफ को लाने की कोशिश भी हुई, और फिर बुधवार को आगजनी की बड़ी घटना को अंजाम दे दिया.