पंकज सिंह भदौरिया,दंतेवाड़ा। बस्तर के दंतेवाड़ा जिले के पोटाली गांव में लगे कैम्प को लेकर रोजाना एक खबर निकल रही है. किसी दिन ग्रामीणों के साथ पिटाई की, तो किसी दिन सुरक्षाबल के जवान ग्रामीणों को दवाई बांटते दिखते हैं. इसी बीच दरभा डिवीजन के नक्सली ने प्रेसनोट जारी किया है. जिसमें नक्सलियों ने कहा है कि पुलिस जवानों ने 3 दिन में 150 ग्रामीणों की पिटाई की, हवा में गोलियां चलाई और आंशू गैस के गोले छोड़ते हुए जुल्म किया है.

पोटाली कैम्प में जवानों को जनरक्षक की जगह प्रेसनोट नोट में जनभक्षक दरभा डिवीजन के सचिव ईनाथ ने बताया है. जारी प्रेसनोट में दरभा डिवीजन ने लिखा है 11 नवम्बर से लगे पोटाली कैम्प का विरोध जनता स्वयं से कर रही है. क्योंकि जनता जानती है पुलिस कैम्प लगाने के नाम पर ग्रामीणों पर किस तरह जुल्म करती है. 3 दिनों में कैम्प विरोध के लिए बढ़ रही जनता से लगातार मारपीट कर हवा में गोलियां चलाने और आशु गैस छोड़कर भीड़ को तीतत बीतर करने जैसी बात लिखी है. साथ ही जवानों के गश्त के दौरान सल्फी जबरन उतारकर पीने, घरों में जबरन घुसकर मुर्गें-मुर्गियों और खेतों से साग-सब्जी के चोरी जैसे आरोप लिखे है. जारी प्रेसनोट में छग डीजीपी डीएम अवस्थी के लिए लिखा है कि जनता स्वयं से आंदोलन चला रही है किसी के बहकावे में नहीं आ रही है.

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कटेकल्याण ब्लाक चिकपाल पंचायत में पुलिस कैम्प तैनात होते ही गादाम वास्थव्य लखमा माड़वी, हिड़मा माड़वी को पुलिस ने दिनदाहड़े जनता के सामने ही मारा, दासियों की संख्या में गिरफ्तारियां करते हुए जनता में दहशत का महौल बनाया हैं. सर्वआदिवासी समाज से गठित जांच दल भी मुनंगा मुठभेड़ को फर्जी करके साबित किया. इन बातों से जाहिर होता हैं की पुलिस अधिकारी अभिषेक पल्लाव बताया जैसा तैनात पुलिस कैम्प जनता और उघोग की सुरक्षा नहीं बल्कि प्राकृतिक संसाधनों को लूट रहे कॉरपोरेट घरानों को बचाने के लिए ही लगाया गया हैं. ये पूरा जनता को नुकसान करने के लिए लगाया हैं.

माओवादी आंदोलन दमन के नाम पर केंद्र में सत्तारूण भाजपा का ब्राह्मणीय हिंदूफासीवादी राज को स्थापीत करने के लिए और आक्रमक रूख अपना रही हैं. ‘माओवादी-रहित, ब्राह्मणीय हिंदूफासीवादी राज की स्थापना के लक्ष्य हैं-व्यापक जनता के उत्पीड़ित सामाजिक समुदायों, उत्पीडित राष्ट्रीयताओं के हितों का सख्त खिलाफ हैं. इस लिए उत्पीडित वर्गो, सामाजिक समुदायों उत्पीड़ित राष्ट्रीयताओं ने अपनी आर्थिक, राजनीतिक, हितों को बचाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा अपना ही जा रही देशद्रोही नीतियों के विरोध में लड़े रहे हैं.

नरेंद्र मोदी भूपेश बघेल सरकारों द्वारा अमल कर रहे जनविरोधी और दमनकारी नीतियों पर शहरों में भी विरोध प्रकाट हो रहा हैं. इसे दबाने के लिए जनपक्षदर बुद्धिजीवियों को अर्बन नक्सल के नाम से जेलों में ठूस रहे हैं. बहुत सारे कानूनन जनसंगठनों पर प्रतिबंद लगाया.