शिवा यादव,सुकमा. सुकमा जिले में अब तक नक्सलियों की कायराना हरकत से ग्रामीणों को बहुत नुकसान हुआ है. नक्सलियों द्वारा 2012 से लेकर अभी तक करीब 73 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या हो चुकी है. कई वजहों से भोले-भाले ग्रामीण इन नक्सलियों का शिकार बनते रहे है. ये आंकड़ा नक्सल सेल के मुताबिक बताया जा रहा है.

फाइल फोटो

नक्सलियों द्वारा खास कर उन ग्रामीणों को अपना शिकार बनाया जाता है. जो किसी तरह से सुरक्षा बलों के सम्पर्क या फिर उनके परिवार से रिस्ता रखते है. उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया जा रहा है. इतना ही नहीं ग्रमीणों को जन अदालत लगाकर पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है. मुखबिरी का आरोप लगाते हुए ऐसे कई ग्रामीणों को धारदार हथियार से मौत के घाट उतार दे रहे हैं. या फिर उनका विरोध कर रहे ग्रामीणों की भी हत्या कर रहे है.

आईपीएस शलभ कुमार सिन्हा ने बताया कि सुकमा जिले के गठन के बाद अलग-अलग घटनाओं में नक्सलियों ने भोले-भाले ग्रामीणों की हत्या की है. आईईडी के चपेट में आने से लोगों को जान जा चुकी है. यहां तक की सड़क पर काम कर रहे ठेकेदारों की हत्या की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि 2016 में एक पांच साल की बच्ची की आईईडी की चपेट में आने मौत हो गई थी. पिछले पांच साल से नक्सलियों द्वारा लगातार ग्रामीणों को मुखबिरी की शक में हत्या की जा रही है.

नक्सली आए दिन जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए आइईडी लगाते रहते है. इसकी चपेट में भी आने से करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है. इस तरह कुल मिलाकर 2012 से अब तक नक्सलियों ने 73 निर्दोष ग्रामीणों को मौत के घाट उतार चुके है. औऱ लगातार नक्सलियों के हाथों ग्रामीण अपनी जान गंवा रहे है. पर नक्सली अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है. यहां तक की नक्सल इलाकों में हो रहे विकास को लेकर भी नक्सली सड़क बना रहे ठेकेदारों को भी मौत की नींद सुला दे रहे है.

ये रहे 2012 से लेकर अब तक के आंकड़े…

…2012- में  10 ग्रामीणों की हत्या
…2013- में  11 ग्रामीणों की हत्या
…2014- में 06 ग्रामीणों की हत्या
…2015- में 15 ग्रामीणों की हत्या
…2016- में 10 ग्रामीणों की हत्या
…2017- में 08 ग्रामीणों की हत्या
…2018- में 13 ग्रामीणों की हत्या