रायपुर. शिक्षाकर्मियों के संविलियन किये जाने की मांग को अब तक विभिन्न कर्मचारी संघ, राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन ही समर्थन करते आ रहे थे, लेकिन अब इन शिक्षाकर्मियों की मांगो का समर्थन नक्सलियों ने भी किया है. एक नक्सल संगठन के कथित पत्र में नक्सलियों ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन की मांग का समर्थन किया है. लेकिन उनका समर्थन करने का तरीका थोड़ा अलग है,क्योकि नक्सली शिक्षाकर्मियों का संविलियन न किये जाने से इतने आक्रोशित हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री समेत 10 भाजपा नेताओं को इसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने की धमकी दी है.

इतना ही नही इस पत्र में शिक्षाकर्मी नेता वीरेंद्र दुबे का नाम भी शामिल है. उन्हें भी नक्सलियों ने धमकी दी है. इसका खुलासा वीरेंद्र दुबे को उनके कार्यरत संस्था के पते पर मिले उस पत्र से होता है. जिसमें उन्होंने वीरेंद्र दुबे को नामजद कर तथा मुख्यमंत्री सहित 10 भाजपा नेताओं को निशाने में लेने तथा शीघ्र ही संविलियन न होने की स्थिति में अंजाम के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है. डाक पत्र में माओवादी संगठन मदनवाड़ा मानपुर छत्तीसगढ़ का उल्लेख है.

पत्र मिलने के बाद वीरेंद्र दुबे ने धमैश शर्मा, हेमंत सोनवानी, जितेंद शर्मा, भानु डहरिया आदि के साथ गृहमंत्री रामसेवक पैकरा से मुलाकात की और पैकरा को उक्त पत्र को सौंपते हुए मामले को संज्ञान में लाया है और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

माओवादी के उक्त पत्र के संबंध में वीरेंद्र दुबे ने कहा है कि संविलियन और शिक्षाकर्मियों के प्रति उनकी भावनाओं से वे पूरी तरह अवगत है. उन्होंने स्वयं विगत 19 वर्षों न केवल ईमानदारी से प्रयास किया है, बल्कि वे कई बार जेल भी गए, साथ ही कई विषम परिस्थितियों से गुजरा. लेकिन कभी भी आम शिक्षाकर्मियों के हितों के साथ समझौता नहीं किया है. मेरे प्रयासों से छग में संविलियन का विषय पुन: सरकार की कार्रवाई में आई और उच्च स्तरीय समिति इस विषय पर कार्य कर रही है. राष्ट्रीय स्तर पर भी पैरा शिक्षक संघ के संयोजक के रूप में संविलियन के आंदौलन को मैंने दिशा दी, जिससे फलस्वरूप म.प्र. में संविलियन की घोषणा हो चुकी है. फिर भी मुझे जान की धमकी देना दुर्भाग्यजनक है.