रोहित कश्यप. मुंगेली जिले में सिस्टम चलाने वाले ही अगर सिस्टम पर ही सवाल खड़े करने लगे तो सोचिए उस सिस्टम में आम आदमी को क्या सुविधा मिल पाती होगी ?
मामला मुंगेली जिले के स्वाथ्य विभाग का है जहां जिला अस्पताल में कोटवार के सड़क हादसे में मौत हो जाने में बाद पोस्टमार्टम के लिए नायब तहसीलदार को भटकना पड़ गया. दरअसल बिदबिदा गांव के कोटवार लखन लाल जो कि सरगांव उप तहसील में सेवारत थे. वे ऑफिस में ही चपरासी का कार्य करने वाले अन्य साथी के साथ बाइक में सवार होकर शासकीय डाक लेने मुंगेली कलेक्ट्रेट निकले हुए थे.
इसी बीच कोतवाली थाना अंतर्गत गीधा के पास सड़क हादसे में लखन महरा की घटना स्थल पर मौत हो गई साथ ही एक अन्य कर्मचारी को घटना में आहत होने के बाद बिलासपुर सिम्स रेफर किया गया.
घटना तकरीबन 2 बजे की है सूचना मिलते ही सरगांव उप तहसील के नायब तहसीलदार देशकुमार कुर्रे जिला अस्पताल पहुंचे जिसके बाद से वह कोटवार लखन महरा का पोस्टमार्टम कराने के लिए भटकते नजर आए साथ ही इसकी जानकारी उच्च अधिकारी को भी दी लेकिन हैरानी की बात है कि घटना के 6 घंटे गुजर जाने के बाद भी पोस्टमार्टम नहीं हो सका.
साथ ही कोटवार के शव को सही ढंग से रखा भी नहीं गया था जिसपर ग्रामीणों के साथ ही नायब तहसीलदार ने जिला अस्पताल प्रबंधन पर गम्भीर आरोप लगाए है, वहीं नायब तहसीलदार ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी लापरवाही का करने का आरोप लगाया है.
सोचिए अगर प्रशासन के अधिकारियों का जिला अस्पताल में सुनवाई नहीं है तो आमजनों की क्या स्थिति होती होगी. ज्यादातर आम नागरिक सरकारी अस्पतालों के कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े करते नजर आते है. लेकिन जब प्रशासन के अधिकारी ही अगर शिकायत करने लगे तो जिला प्रशासन के मुखिया को न सिर्फ इसे गम्भीरता से लेना चाहिए बल्कि दोषियों पर कार्रवाई भी करनी चाहिए.