मुंबई। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने एसकेएस पावर जेनरेशन (छत्तीसगढ़) के लिए सारदा एनर्जी एंड माइनिंग (एसईएमएल) की समाधान योजना को मंजूरी दे दी है. कंपनी को लेकर अडानी समूह और रिलायंस इण्डस्ट्रीज ने भी दिलचस्पी दिखाई थी.

सारदा एनर्जी एंड माइनिंग की समाधान योजना को मंजूरी दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी), 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के हिस्से के रूप दी गई है.

न्यायमूर्ति अनु जगमोहन सिंह और किशोर वेमुलापल्ली की पीठ ने योजना को लेकर उठाई गई आपत्तियों को खारिज करते हुए एसईएमएल के पक्ष में फैसला सुनाया. पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम कॉर्पोरेट देनदार के लिए सफल समाधान आवेदक (सारदा एनर्जी) की योजना को मंजूरी देते हैं.” हालांकि, इस निर्णय तक पहुंचने की प्रक्रिया जटिल रही है.

एसकेएस पावर की दिवालियेपन कार्यवाही अप्रैल 2022 में शुरू हुई, जब भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित ऋणदाताओं ने कुल ₹1,890 करोड़ के दावों के साथ एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया.

अडानी समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड सहित कई प्रमुख समूहों ने शुरू में एसकेएस पावर में रुचि व्यक्त की थी, लेकिन संशोधित बोलियां प्रस्तुत नहीं कीं. अन्य बोलीदाताओं में एनटीपीसी, जिंदल पावर, टोरेंट पावर और सिंगापुर स्थित वैंटेज पॉइंट एसेट मैनेजमेंट शामिल थे.

एसईएमएल की ₹2,000 करोड़ से अधिक की सफल बोली लेनदारों की समिति को देय लगभग सभी बकाया को कवर करती है, जो कंपनी के साथ जूझ रहे हैं.

1973 में स्थापित सारदा एनर्जी एंड मिनरल्स सारदा समूह की प्रमुख इकाई है. कंपनी का मुख्यालय छत्तीसगढ़ में है. कंपनी को भारत के सबसे कम लागत वाले स्टील उत्पादकों में से एक और फेरोएलॉय के सबसे बड़े निर्माताओं और निर्यातकों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है.