Neurological Disorder : आजकल बड़ी संख्या में युवा न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे हैं, जो दुनिया के लिए सबसे बड़ी चिंता बनती जा रही है. स्टडी के मुताबिक, साल 2021 में जिन 10 सबसे ज्यादा न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स की चपेट में लोग आएं, उनमें स्ट्रोक, नियोनेटल एन्सेफैलोपैथी यानी ब्रेन इंजरी, माइग्रेन, अल्जाइमर-डिमेंशिया, डायबिटिक न्यूरोपैथी, मेनिनजाइटिस, मिर्गी, समय से पहले जन्म की वजह से बच्चों में न्यूरोलॉजिकल कठिनाई, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर और तंत्रिका तंत्र के कैंसर शामिल है. इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME), वाशिंगटन में अध्ययनकर्ता और रिसर्च प्रमुख लेखक डॉ. जेमी स्टीनमेट्ज ने बताया कि करीब सभी देशों में इस तरह की समस्याएं बढ़ी हैं.

इसका शारीरिक और मानसिक सेहत पर तो निगेटिव असर पड़ता ही है, क्वालिटी ऑफ लाइफ भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. इसी को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश हालिया स्टडी में बताया गया है कि दुनियाभर में 3.4 बिलियन यानी 340 करोड़ से ज्यादा लोग कई तरह की न्यूरोलॉजिकल प्राब्लम्स के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं.

न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बन सकते हैं मौत का कारण (Neurological Disorder)

शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्लोबल पॉपुलेशन में इजाफा होने के साथ प्रदूषण में रहना, मेटाबॉलिज्म और लाइफस्टाइल से जुड़े जोखिम की वजह से इस तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ जा रहा है. दुनियाभर में  पिछले 31 सालों में न्यूरोलॉजिकल कंडीशन की वजह से विकलांगता और समय से पहले मौत के मामले बढ़े हैं. जिसे डिसेबिलिटी एडजेस्टेड लाइफ ईयर (DALYs) के तौर पर जाना जाता है. इसमें 18% की बढ़ोतरी हुआ है.

यदि आपके पास इनमें से कोई भी न्यूरोलॉजिकल लक्षण है तो अपने डॉक्टर की सलाह लें

लक्षण

  • गंभीर सिरदर्द या माइग्रेन
  • पीठ के निचले हिस्से या गर्दन में पुराना दर्द
  • दौरे या कंपकंपी
  • होश खो देना
  • भ्रम या भटकाव
  • अचानक चक्कर आना या संतुलन बिगड़ जाना
  • स्मरण शक्ति की क्षति
  • हिलाना
  • समन्वय या आंदोलन की समस्याएं
  • क्रोनिक अनिद्रा
  • मांसपेशियों में अकड़न, कठोर अंग या मांसपेशियों में ऐंठन
  • मांसपेशियों में कमजोरी या सुन्नता
  • मतली और/या उल्टी
  • झुनझुनी की अनुभूति
  • संवेदनाओं में कमी
  • आंत्र और/या मूत्राशय पर नियंत्रण का नुकसान
  • धुँधली या दोहरी दृष्टि