हिन्दू धर्म के अनुसार हर घर में मंदिर होना जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार मंदिर में हर दिन पूजा पाठ का प्रावधान है। मंदिर में कई तरह के सामान का प्रयोग होता है, जो खत्म होने के बाद हम उसे अलग किसी पॉलीथिन में रखते जाते हैं। मंदिर से निकलने वाली चीजों को कभी भी ऐसे कहीं भी फेंकना नहीं चाहिए क्योंकि इससे ईश्वर का अपमान होता है और इससे पाप लगता है। वहीं अगर हम इसे किसी नदी में प्रवाह करते है, तो भी ये पाप है क्योंकि इससे पवित्र नदी भी दूषित होती है। ऐसे में हमें किस तरह से इसका निवारण करना चाहिए आज हम आपको बताएँगे। घर के मंदिर से निकले हुए वो सामान जिस पर ईश्वर की तस्वीर रही हो उसे नष्ट करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
पीपल की जड़ में दफनायें
मंदिर से निकलने वाली फूल माला या फिर धूप अगरबत्ती के अवशेष को किसी पीपल के जड़ में दबा देना चाहिए। इसे कभी भी कूड़े में फेंकना नहीं चाहिए, इससे उनका अपमान होता है। इसके अलावा आप फूलों को अच्छे से धूप में सूखा लें और इसे मिट्टी में मिलाते जाए1। कुछ दिनों में ये अच्छा खाद बन जाएगा फिर इसे आप अपने पेड़ पौधों में डालकर खाद की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
अग्नि में करें शामिल
घर में मौजूद कैलेंडर जिसमें भगवान की तस्वीर हो, या कुछ ऐसी फोटो जो एक समय के बाद खंडित हो गयी है और उसे घर से निकलना है तो ऐसे में आपको इन सामानों को कूड़े में फेंकने की बजाये इनके अग्नि तत्व में मिला देना चाहिए। हिन्दू धर्म में अग्नि तत्व को काफी अधिक पवित्र माना गया है इसलिए ऐसे सामानों को कूड़े में फेंकने की बजाय अग्नि कुंड में जला देना चाहिए और इसकी राख को पीपल की जड़ में दबा देना चाहिए।
रीसाइकिल करें
अक्सर शादी के कार्ड पर भगवान की तस्वीरे होती है इसलिए इन कार्डों को अगर आप कूड़े में फेंकते है तो इसका अपमान माना जाता है। इसलिए आप इन कार्डों को फेंकने की बजाय कबाड़ी वाले को दें जो आगे चलकर रीसाइकिल होकर फिर काम करने योग्य सामान बनेगा। इसी के साथ घर में लगे हुए बड़े बड़े भगवान के पोस्टरों के साथ भी ऐसा ही करें।
पौधों को मैदान में लगायें
अगर आप किसी पूजा पाठ में पौधे की पूजा करते हैं तो उसे पूजा के बाद किसी मैदान में लगायें जो हरियाली बढ़ाने का काम करेगी और हमारे वातावरण को भी शुद्ध करने का काम करेगी।
मूर्तियों को धरती में मिलाएं
खंडित मूर्ति को कभी भी मंदिर में नहीं रखना चाहिए। हमारे समाज में मूर्तियों को नदी में प्रवाह करने की परंपरा चली आ रही है। मंदिर से निकलने वाले हर कूड़े से लेकर देवी देवताओं की मूर्ति तक को नदी में प्रवाह किया जाता है लेकिन इस परम्परा के चलते नदियों को इतना अधिक प्रदूषित कर दिया गया हैं कि आज उसका जल पीने लायक नहीं बचा है। ऐसे में इन पवित्र नदी को अगर आप दूषित करने से बचना चाहते है, तो आप खंडित मूर्ति को धरती में भी दफन कर सकते हैं। या फिर आप इन्हें पौधे के गमले में डाल दें।
नारियल का प्रसाद बाटें
नारियल को पूजा के बाद सहेज कर न रखें। बल्कि फोड़कर उसका प्रसाद बांट दें। यदि ऐसा नहीं करना है तो हवन में पूरा नारियल होम दें अन्यथा उसे लाल या सफेद कपड़े में बांधकर पूजा वाले स्थान पर रखें। तो वहीं अगर बात करें मौली या रक्षा सूत्र की तो पूजन से बचे हुए रक्षा सूत्र को घर की अलमारी या दुकान की तिजोरी पर बांध सकते हैं।