कोरोना महामारी के बीच एक अच्छी खबर है कि आज रूसी वैक्सीन Sputnik-V की पहली खेप भारत पहुंचने वाली है. इसे कोरोना वायरस के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है.
रूसी कोरोना वैक्सीन Sputnik-V की पहली खेप आज भारत आ रही है. इससे पहले भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सिन के साथ कोरोना के खिलाफ जंग जारी है. स्पूतनिक-वी की पहली खेप आने के बाद से भारत में टीकाकरण की रफ्तार और तेज हो जाएगी, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में एक और वैक्सीन जुड़ जाएगी. रूसी अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है कि आज यानी 1 मई को भारत में स्पूतनिक-वी वैक्सीन की पहली खेप आ जाएगी. बता दें कि स्पूतनिक-वी वैक्सीन को गमालया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा विकसित किया गया है.
कैसे अन्य वैक्सीन से अलग है Sputnik-V
रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी, एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की तरह ही एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है. मगर किसी भी अन्य कोरोना वैक्सीन के विपरीत, स्पूतनिक-वी वैक्सीन की दोनों खुराक एक दूसरे से अलग होती हैं. स्पूतनिक वी की दोनों खुराकों में अलग-अलग वैक्टरों का उपयोग SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने के लिए किया गया है. बता दें कि कि सार्स-कोव-2 ही कोरोना वायरस का कारण बनता है. वैक्सीन की प्रकृति में भी स्पूतनिक वी की दो खुराक एक ही टीका के थोड़े अलग संस्करण हैं और इसका उद्देश्य कोरोना के खिलाफ लंबी सुरक्षा प्रदान करना है.
किन-किन देशों ने दी स्पूतनिक-वी को मंजूरी
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तुर्की, चिली और अल्बानिया के अलावा, 60 अन्य देशों ने स्पुतनिक-वी को मंजूरी दी है. रूस, बेलारूस, अर्जेंटीना, बोलीविया, सर्बिया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पैराग्वे, तुर्कमेनिस्तान, हंगरी, यूएई, ईरान, रिपब्लिक ऑफ गिनी, ट्यूनीशिया, आर्मेनिया, मैक्सिको, निकारागुआ, रिपब्लिका श्रीपस्का (बोस्निया और हर्जेगोविना की इकाई), लेबनान, म्यांमार, पाकिस्तान, मंगोलिया, बहरीन, मोंटेनेग्रो, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, गैबॉन, सैन-मेरिनो, घाना, सीरिया, किर्गिस्तान, गुयाना, मिस्र, होरासुर, ग्वाटेमाला, मोल्दोवा, स्लोवाकिया, अंगोला, कांगो गणराज्य , जिबूती, श्रीलंका, लाओस, इराक, उत्तरी मैसेडोनिया, केन्या, मोरक्को, जॉर्डन, नामीबिया, अजरबैजान, फिलीपींस, कैमरून, सेशेल्स, मॉरीशस, वियतनाम, एंटीगुआ और बारबुडा, माली, पनामा, भारत, नेपाल और बांग्लादेश ने स्पुतनिक को मंजूरी दे दी है.