दिल्ली. जीएसटी में टैक्स चोरी के हर तरीके पर लगाम लगाई जा रही है। अब नए तरह के मामले सामने आ रहे हैं। कई कारोबारियों ने जीएसटी का जो पेमेंट किया है उससे उनके ई वे बिल के आंकड़े का मिलान नहीं हो रहा है। कई लोगों ने 1 ही ईवे बिल पर कई बार माल भेज दिया। इससे टैक्स पेमेंट के आंकड़ों का मिलान नहीं हो पा रहा है।

जीएसटी अधिकारियों ने ऐसी कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगना शुरू किया है, जिनके कर भुगतान के आंकड़े का मिलान ईवे बिल से नहीं हो पा रहा है। राजस्व अधिकारियों ने कर चोरी पर रोक लगाने के लिए आपूर्ति आंकड़ों के मिलान के क्रम में यह कदम उठाया है।

ई-वे बिल व्यवस्था को कर-चोरी पर रोक लगाने वाला कदम बताया गया था। 50,000 रुपए से अधिक के सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए एक अप्रैल, 2018 को यह व्यवस्था लागू की गयी थी। राज्य के भीतर सामानों की ढुलाई के लिए ई-वे बिल व्यवस्था को 15 अप्रैल, 2018 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया था।

इसके बाद कर अधिकारियों के संज्ञान में आया कि कुछ ट्रांसपोर्टर एक ही ई-वे बिल पर एक-से अधिक बार माल की ढुलाई कर रहे हैं या बिक्री का रिर्टन दाखिल करते समय ई-वे बिल का चालान नहीं दिखाते हैं। साथ ही यह भी देखने को मिला कि कुछ कारोबारी आपूर्ति के बावजूद ई-वे बिल नहीं काटते हैं।

सूत्रों ने बताया कि जीएसटी के लिए प्रौद्योगिकी का तंत्र उपलब्ध कराने वाली कंपनी माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने ई-वे बिल और भुगतान किये गए कर का विवरण कर अधिकारियों को देना शुरू कर दिया है ताकि कर अधिकारी किसी भी तरह की अनियमितता का पता लगा सकें।

हाल ही में ई वे बिल में बदलाव के लिए नए नियम भी जारी किए गए हैं। इसके तहत अब 1 ईवे बिल से 1 ही बार सामान ट्रांसपोर्ट हो सकेगा। वहीं रूट की गणना भी ऑटोमैटिक तरीके से होगी। एक बिल पर एक ही ई वे बिल जनरेट होगा। इनका उद्देश्य जीएसटी की चोरी पर रोक लगाना है।