मिथलेश गुप्ता, जशपुर। रात भर फूल एन्जॉय और डांस भी करने को मिलेगा, बाकी कोई दिक्कत होगी तो हम साथ खड़े रहेंगे, बिलकुल छूट…फुल एन्जॉय मात्र 1900 में… जशपुर के नवनिर्मित सरना एथनिक रिसोर्ट में 31 दिसंबर की रात आयोजित होने वाले कार्यक्रम को पोस्टर में छपे इन शब्दों ने जनजातीय समाज को इस कदर आहत किया है, उन्होंने सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है. वहीं कोरोना काल में नियम विरुद्ध कार्यक्रम के आयोजन के खिलाफ कलेक्टर से कार्रवाई की मांग की है.

रिसार्ट में रॉक बैंड शो के आयोजन को लेकर सोशल मीडिया में जिस प्रकार से प्रचार किया जा रहा है, उससे जनजातीय समाज आहत है. बता दें कि यहाँ रॉक बैंड शो के नाम पर रात्रिकालीन डांस व संगीत का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए 1999 रुपए प्रवेश शुल्क निर्धारित किया गया है. युवा वर्ग को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे इस आयोजन को जनजातीय समाज ने संस्कृति व समाज के खिलाफ घातक बताया है, साथ ही ऐसे आयोजनों पर रोक लगाने की मांग की है.

जनजातीय समाज ने जशपुर कलेक्टर को सौंपे आवेदन में बताया कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा देश के सुदूर इलाकों में रहने वाले विभिन्न जनजातीय समाज की पवित्र संस्कृति परंपरा एवं इतिहास से परिचित कराने के उद्देश्य से ऐसे स्थानों पर एथेनिक रिसोर्ट का निर्माण कराया गया है. क्षेत्र विशेष की प्रमुख जनजाति परंपराओं के नाम से उक्त रिसोर्ट को प्रचारित भी किया गया है.

इसी क्रम में जशपुर जिले में निवासरत 13 प्रकार से भी अधिक जनजातियों के आस्था के प्रमुख केंद्र सरना के नाम से उक्त रिसोर्ट को सरना एथेनिक रिसोर्ट नाम दिया गया है. इस नाम से ही प्रथम दृष्टया उक्त स्थल के प्रति जनजातीय समाज की आस्था दृष्टिगोचर होती है, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उक्त परिसर को भी जनजातियों की प्राचीन संस्कृति एवं परंपरा के अनुरूप सजाया एवं संवारा गया है.

कलेक्टर महादेव कावरे को बताया गया है कि जनजातियों की संस्कृति एवं परंपरा को प्रदर्शित करने वाले रिसोर्ट में 31 दिसंबर की रात रॉक बैंड शो के नाम पर ऐसा आयोजन किया जा रहा है, जिससे ना तो जनजाति समाज से कोई संबंध है, और ना ही उक्त कार्यक्रम जशपुर जैसे क्षेत्र की परंपरा संस्कृति के अनुकूल है.

वहीं मामले में आयोजक मंडल के विनोद यादव ने बताया कि उक्त आयोजन स्वदेश नाम के एनजीओ द्वारा कराया जा रहा है जिसमे उड़ीसा, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ी संस्कृति ,साज ,और पाराम्परिक गीत संगीत से मंजे कलाकारों का समावेश होगा। पश्चिमी संस्कृति से जुड़ा ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है. जिले में पहली बार ऐसा आयोजन हो रहा है और कार्यक्रम का विरोध कर रहे लोगों को कार्यक्रम की सच्च्चाई जानने की जरूरत है, बगैर सच्च्चाई समझे ऐसे कार्यक्रम का विरोध अनुचित है.