देश में कोरोना महामारी से बचने के लिए बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन किया जा रहा है. लेकिन अब भी लोगों में वैक्सीन को लेकर कई प्रकार के भ्रम है. इसी बीच लोगों के ये सवाल रहते है कि क्या कोरोना वैक्सीन लगवने के बाद भी उन्हें कोरोना हो सकता है ? इसे लेकर एक स्टडी हुई है.
एबीपी की रिपोर्ट कहती है कि एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि वैक्सीन लगाने के बाद कोरोना का संक्रमण न के बराबर होता है. सिर्फ 4.28 प्रतिशत लोगों में ही वैक्सीन लेने के बाद कोरोना का संक्रमण पाया गया है. 95 प्रतिशत से अधिक लोगों को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ.
कोरोना महमारी से निपटने का एकमात्र उपाय वैक्सीन है. देश में वैक्सीन अभियान में तेजी लाया जा रहा है. हालांकि कई लोगों के मन में यह दुविधा रहती है कि क्या वैक्सीन लेने के बाद वे पूरी तरह कोरोना से सुरक्षित हो जाएंगे. कई लोग वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं. इसलिए लोगों के मन में यह शंका वाजिब है. हालांकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जिन्हें वैक्सीन लेकिन के बाद संक्रमण हुआ है. वैक्सीन लेने के कितने दिनों बाद वह कोरोना संक्रमित हो सकता है. इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए हाल ही में एक अध्ययन किया गया है.
अध्ययन के मुताबिक वैक्सीन लेने के बाद दोबारा संक्रमण की आशंका बहुत ही मामूली है. अध्ययन में 31600 हेल्थ वर्कर को शामिल किया गया था. इन सभी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी चुकी थी. अध्ययन में साबित हुआ कि इनमें से 95 प्रतिश लोगों को वैक्सीन लेने के बाद संक्रमण नहीं हुआ. हालांकि अध्ययन में शामिल 4.28 प्रतिशत ऐसे लोग थे जिन्हें वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण नहीं हुआ. इससे पहले बताया गया है कि जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है, उनमें वैक्सीन का असर ताउम्र रह सकता है. इसका मतलब यह हुआ कि बहुत कमजोर इम्यूनिटी वाले कुछ ही लोगों में वैक्सीन का असर उतना नहीं होगा जितना होना चाहिए.
किसी की मौत नहीं
वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण के कुछ मामले जरूर सामने आ रहे हैं लेकिन एम्स की एक हालिया अध्ययन में नतीजे बेहद उम्मीद जगाने वाले हैं. वैक्सीन लेने के बाद संक्रमण की चपेट में आए जिन लोगों पर स्टडी की गई, उनमें से किसी की भी संक्रमण से मौत नहीं हुई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स की तरफ से की गई अध्ययन में वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित होने वाले लोगों में से किसी की भी अप्रैल से मई के दौरान मौत नहीं हुई.
खास बात यह है कि अप्रैल से मई के बीच में ही कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी और बड़ी तादाद में कोरोना मरीजों की मौत हुई थी. एम्स ने कुल 63 ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए स्टडी की. इनमें से 36 मरीज वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे जबकि 27 ने कम से कम एक डोज. 10 मरीजों ने कोविशील्ड ली थी जबकि 53 ने कोवैक्सीन लगवाई थी. इनमें से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई.