इंफाल। मणिपुर हिंसा को लेकर मचे हाय-तौबा के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति ने राज्य में तनाव बढ़ाने के लिए एनजीओ को जिम्मेदार ठहराया है. मणिपुर की पहली फील्ड विजिट के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाले पैनल ने कहा है कि एनजीओ लोगों को शवगृह से उनके परिजनों का शव लेने तक को रोक रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ये एनजीओ मृतकों के परिजनों से प्रशासन से कई मांगें करवा रहे हैं. इसके पीछे कुछ ऐसे तत्व हैं जो कि चाहते हैं कि राज्य में तनाव बना रहे और वे शांति स्थापित करने में बाधक बन रहे हैं. इसलिए जो कुछ याचिकाकर्ता एनजीओ हैं, वे सही तथ्य सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रख रहे हैं.

समिति ने कहा कि राज्य सरकार ने मृतकों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए 9 जगहें निश्चित की थी. मृतकों के परिजनों को इनमें से किसी का चुनाव करने के लिए कहा गया था. हालांकि, कई संगठनों ने सामूहिक अंतिम संस्कार का विरोध किया. इस वजह से मणिपुर में तनाव और बढ़ गया जो जल्दी खत्म नहीं हो पाया.

समिति ने कहा कि डिप्टी कमिश्नर चरुचांदपुर के कार्यालय के एंट्री गेट पर 50 शव रख दिए गए. इसके बाद लोगों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. यह राज्य सरकार के उन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बहुत पीड़ादायक था जो कि दिन रात मेहनत करके शांति बहाल करने की कोशिश में लगे थे. इस तरह से ताबूतों के प्रदर्शन के बाद तनाव और बढ़ गया.

समिति ने सीएसओ को निर्देश देने की मांग की है और कहा है कि वे लोगों को समझाएं कि वे सहायता राशि ले लें और अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करें. अगर समय पर वे शवों को नहीं लेते हैं तो राज्य सरकार की तरफ से उनका अंतिम संस्कार करवाया जाएगा.