रायपुर। एनजीटी के एक फरमान ने कोल परिवहन पर आश्रित परिवारों, ऊर्जा संयंत्रों, कोयला खदानों की नींद उड़ा दी है. आदेश में फरवरी 2021 के बाद तमनार व घरघोड़ा क्षेत्र में कोल परिवहन ट्रकों के माध्यम से नहीं हो सकेगा, कोल परिवहन या तो रेल मार्ग अथवा कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से ही हो सकेगा. यह आदेश क्षेत्र के ऊर्जा संयंत्रों, खदानों को पूर्णतया प्रभावित करेगा. 

एनजीटी के आदेश से आशंका है कि विद्युत लागत और भी बढ़ जायेगी, इसके साथ कोयले की उपलब्धता न होने के कारण उत्पादन निचले स्तर पर आ जाएगा, वहीं खदानों में भी कोल सप्लाई का संकट रहेगा. इससे न केवल ऊर्जा संयंत्रों व खदानों में कार्यरत लोगों की जिंदगी प्रभावित होगी, बल्कि इनसे मिलने वाले राजस्व की हानि होगी. इसके साथ कोयले परिवहन पर आश्रित परिवारों के लिए रोजी रोटी पर संकट पैदा करेगा.

जानकारों का मानना है कि इस आदेश से क्षेत्र के ऊर्जा संयंत्रों, पूंजीपथरा औद्योगिक पार्क, तमनार व घरघोड़ा क्षेत्र में स्थित छोटे बड़े उद्योगों में कोल सप्लाई को अवरोधित करेगा, जिससे इन उद्योगों में ताला बंदी के हालात बन जाएंगे. और इन इकाइयों में कार्यरत श्रमिकों एवं उनके परिवारों का रोजगार छिन जाने के कारण स्थितियाँ भयावह होंगी. इसका प्रभाव पूरे जिले पर पड़ेगा व अर्थव्यवस्था निम्न स्तर पर आ जाने के आसार है.

इस आदेश का प्रभाव घरघोड़ा व तमनार क्षेत्र में आबंटित नई कोयला खदानों के विकास एवं विस्तार पर भी पड़ेगा, जैसा कि समिति द्वारा प्रस्वावित किया गया है कि कोल परिवहन रेल या कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से ही हो परंतु इतने कम समय में न तो रेलवे रेल पटरियों बिछा पायेगा और न ही आर्थिक संकट झेल रहे उद्योग कोल कन्वेयर बेल्ट की स्थापना कर पाएंगे. ऐसे में एक सर्वमान्य विकल्प का रास्ता निकालना चाहिए, ताकि क्षेत्र का विकास अवरूद्ध न हो व हजारों परिवारों की जिंदगी न उजड़े तथा रेल मार्ग को शीघ्रताशीघ्र स्थापित व संचालित किया जाय.