रायपुर. आज के दिन 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी (Nirvana Day of Lord Mahavir) को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. आज उनका 2548 वां मोक्ष कल्याणक पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन जैन मंदिरों में उनका कलश अभिषेक, शांतिधारा और पूजन के साथ निर्वाण कांड पाठ भी होता है. जयमाला संपूर्ण अर्घ के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाए जाते हैं. भगवान महावीर ने ईसापूर्व 527, 72 वर्ष की आयु में बिहार के पावापुरी (राजगीर) में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया.

मुक्ति और ज्ञान है सबसे बड़ी लक्ष्मी जैन धर्म में मुक्ति और ज्ञान को सबसे बड़ी लक्ष्मी माना जाता है. प्राय: मुक्तिलक्ष्मी और ज्ञानलक्ष्मी के नाम से ही शास्त्रों में उनका उल्लेख है. इस तरह दीपावली के प्रकाश में प्रतिवर्ष भगवान महावीर के निर्वाण (मोक्ष) लक्ष्मी का पूजन किया जाता है.

जैन समाज में महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस दीपावली के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष तिथि में उतार-चढ़ाव के नाते 24 अक्टूबर को दोपहर के बाद अमावस्या तिथि थी, क्योंकि महावीर स्वामी की मुक्ति कार्तिक अमावस्या के अंतिम प्रहर में हुई थी. शाम को गौतम गांधार को ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसलिए अमावस्या के दिन सुबह निर्वाण के लड्डू भगवान को अर्पित किए.

सूतक का जैन धर्म में नहीं है कोई प्रवधान
ग्रहण में सूतक लगने की बात, जैन धर्म में नहं, वैष्णव धर्म में आती है. इसलिए वैष्णव धर्म में सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं. ऐसे में 25 अक्टूबर मंगलवार को 4:&0 बजे शुरू होने वाले सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व यानी सुबह से ही मंदिरों को बंद कर दिया जाएगा, लेकिन जैन धर्म में कभी मंदिरों के द्वार, पूजा , प्रक्षाल आदि नहीं बंद किए जाते.

इसलिए यहां दीपावली 25 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी यानी श्री वर्धमान स्वामी का 2549वां मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लाड़ू प्रात: काल में मंदिरों में और शाम को घरों में गौतम गांधर स्वामी के ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा. निर्वाण स्थली पावापुरी में देश-विदेश से जैन अनुयायियों का आगमन होता है.

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