रायपुर. नितिन सिंघवी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बाघ और तेंदुए का शिकार बदस्तूर जारी है. इसका खुलासा वन विभाग के ही आंकड़े करते हैं फरवरी 2018 में मैनपुर से मिली बाघ की खाल को छोड़ दें तो छत्तीसगढ़ के वाइल्ड एनिमल एंडटी पोचिंग डेटाबेस के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 से 2017 के मध्य 4 वर्षों में छत्तीसगढ़ में 17 बाघों की खाले जब्त की गई.
इसी प्रकार वर्ष 2006 से 2017 के मध्य 51 तेंदुओं की खालें जप्त करने व शिकार के प्रकरण दर्ज किए गए. इनमें से 5 बाघों की खालें और 30 तेंदुओं की खालें कांकेर वन मंडल से बरामद की गई है. गौरतलब है कि कांकेर वन मंडल उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है . फरवरी में यही के बाघ की खाल बरामद हुई है. इस दौरान रायपुर वन मंडल में पांच तेंदुओं का शिकार हुआ है.
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य सचिव को आंकड़ों से अवगत करवाते हुए विस्तृत जांच करवाने हेतु पत्र लिखा है. इतनी बड़ी संख्या में बाघों व तेंदुओं की खालें बरामद किए जाने पर प्रश्न करते हुए सिंघवी ने कहा कि अगर बाघों और तेंदुओं का शिकार नहीं हुआ तो उनकी खालें कहां से आई.
प्राकृतिक रूप से बाघ और तेंदुए की मौत होने पर उनकी लाश सड़ने से अच्छी स्थिति में खाल नहीं निकाली जा सकती है. अतः बाघों और तेंदुओं का शिकार ही हुआ है इसी कारण से अब छत्तीसगढ़ के जंगलों में बाघ दिखना बंद हो गए हैं.