पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को अपने आवास पर उद्योग विभाग की विस्तृत समीक्षा बैठक की। सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक करीब तीन घंटे चली। इस दौरान राज्य में औद्योगिक विकास की वर्तमान स्थिति, निवेश बढ़ाने की रणनीति तथा लंबित परियोजनाओं की प्रगति पर गहन मंथन किया गया। बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल, विभाग के प्रधान सचिव सहित कई शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग के अधिकारियों से प्रदेश में हाल के वर्षों में स्थापित उद्योगों की स्थिति, संभावित सेक्टरों में निवेश के अवसर और अटकी परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी ली। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर बिहार के औद्योगिक विकास के आंकड़े साझा करते हुए 2005 की स्थिति याद दिलाई। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य में तेज आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण आवश्यक है। 2005 में जहां राज्य में औद्योगिक क्षेत्रों की संख्या 46 थी 2025 में यह बढ़कर 94 हो गई है। औद्योगिक इकाइयों की संख्या भी 1,674 से बढ़कर 3,500 हो गई। उसी तरह, 2005 में बिहार से मात्र 25 करोड़ रुपये का निर्यात होता था, जो अब 17,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। MSME सेक्टर में 72 हजार इकाइयों से बढ़कर 35 लाख तक का विस्तार हुआ है। जीएसडीपी में उद्योगों की हिस्सेदारी भी 5.4% से बढ़कर 21% से अधिक हो गई है।

पांच लाख करोड़ निवेश का लक्ष्य

सीएम नीतीश ने बताया कि बिहार को देश के शीर्ष पांच निवेश-अनुकूल राज्यों में शामिल करने के लिए देश-विदेश में निवेशक सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। अगले पांच वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपये निवेश की कार्ययोजना पर काम शुरू हो चुका है। इसके तहत 5 मेगा फूड पार्क, 10 औद्योगिक पार्क, 100 MSME पार्क, 7 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण और सभी जिलों में MSME केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

बिहार को टेक-हब बनाने की तैयारी

राज्य में डिफेंस कॉरिडोर, सेमीकंडक्टर पार्क, मेगा टेक सिटी और फिनटेक सिटी विकसित करने के लिए शीर्ष समिति बनाई गई है। बिहार को ग्लोबल बैक-एंड हब बनाने की दिशा में भी काम जारी है। सीएम ने बताया कि गया जिले के डोभी में 1,700 एकड़ में बन रहा इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (IMC) तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसका शुभारंभ जल्द किया जाएगा। इसके अलावा 14,036 एकड़ में 31 नए अत्याधुनिक औद्योगिक पार्क स्थापित होंगे। बिहार में उद्योगों के लिए बेहतर सड़क, रेल, एयर कनेक्टिविटी, बिजली और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित की गई है ताकि युवा रोजगार के लिए बाहर जाने को मजबूर न हों।