रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य में बच्चों को कुपोषण एवं महिलाओं को एनीमिया से निजात दिलाने के लिए संचालित मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु एनएमडीसी द्वारा 14 करोड़ रूपए की सहायता राशि का चेक आज प्रदान किया गया। यह सहायता राशि मुख्यमंत्री सुपोषण निधि में जमा की जाएगी। जिसका उपयोग छत्तीगसढ़ राज्य में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के संचालन के लिए उन जिलों को प्राथमिकता के आधार पर दिया जाएगा, जहां डीएमएफ मद की राशि उपलब्ध नहीं है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव आर.प्रसन्ना की मौजूदगी में आज एनएमडीसी लिमिटेड हैदराबाद के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सलाहकार दिनेश श्रीवास्तव ने मंत्रालय में महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक एवं मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के नोडल अधिकारी डी.एस. मरावी को उक्त सहायता राशि का चेक सौंपा। इस अवसर पर एनसीएल के सीईओ पंकज शर्मा तथा जीईसी रायपुर के प्रभारी रमेश कुमार देवांगन विशेष रूप से उपस्थित थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि एनएमडीसी हैदराबाद और छत्तीसगढ़ शासन के महिला एवं बाल विकास के मध्य इस संबंध में एमओयू हुआ है।

मुख्मयंत्री सुपोषण अभियान को जन सहयोग से सफल बनाने का अभियान राज्य में संचालित है। इसके तहत मुख्यमंत्री सुपोषण निधि के लिए भारतीय स्टेट बैंक के इंद्रावती शाखा में बैंक खाता भी खोला गया है। जिसका खाता क्रमांक 38934322482 और आईएफएससी कोड एसबीआईएन0018097 है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में सहयोग देने के लिए इच्छुक संस्था/व्यक्ति उक्त खाते में राशि जमा कर सकते है।

छत्तीसगढ़ राज्य में 0 से 5 वर्ष के बच्चों में व्याप्त कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं में व्याप्त एनीमिया को आगामी तीन वर्षों में पूरी तरह से समाप्त करने के लिए 2 अक्टूबर 2019 से जन सहयोग से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया है। छत्तीसगढ़ में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान से बच्चों में कुपोषण दूर करने में उल्लेखनीय सफलता मिली है। प्रदेश में वर्ष 2019 में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे, इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं। कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है, जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है।

छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरूआत की। राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे। इन आंकड़ों को नयी सरकार एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की है। अभियान की सफलता के लिए इसमें जन-समुदाय को भी शामिल किया गया है।

प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में सर्वप्रथम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई। दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में लइका जतन ठउर जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया। जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई। इसकी सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इस अभियान को 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में लागू किया। इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है। एनीमिया प्रभावितों को आयरन पोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जा रही है। प्रदेश को आगामी 3 वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं।