सक्ती में कांग्रेसी नेता और विधायक प्रतिनिधि आनंद अग्रवाल की मनमानी के सामने अधिकारी भी बेबस नजर आ रहे हैं. कांग्रेसी नेता ने अवैध प्लॉटिंग करने अपने खेत तक रास्ता बनाने के लिए तालाब और पेड़ की बलि चढ़ा दी थी. जिसकी शिकायत के बाद मामले में जांच तो हुई, लेकिन 5 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. जिसके बाद शिकायतकर्ता ने अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

बता दें कि सक्ती से बाराद्वार मुख्यमार्ग में स्थित तालाब को एक किनारे से मिट्टी डालकर पाट दिया गया था. साथ ही रास्ते में आए हरे-भरे पेड़ की बलि चढ़ा दी गई थी. पूरे मामले में शिकायत के बाद अब तक कांग्रेस नेता के खिलाफ कार्रवाई ना होना कई सवाल खड़े कर रहा है.

10 सालो में 100 गुना बढ़े मामले

सक्ती में अवैध प्लॉटिंग करने वाले भूमाफिया इस कदर बेलगाम हो चुके हैं कि उन्हें अब अधिकारियों का भी डर नहीं रहा. दिन दहाड़े खेत में मिट्टी मुरुम डालकर खेत का नक्शा ही बदल दिया जा रहा है और अधिकारी रटा रटाया जवाब दे रहै हैं. नतीजन पिछले 10 सालो में अवैध प्लॉटिंग के मामले 100 गुना बढ़ चुके हैं.

अवैध प्लॉटिंग पर बन रहे मकान

ऐसा ही एक मामला सक्ती तहसील कार्यालय से महज 200 मीटर की दूरी पर पेट्रोल पंप के सामने का है. जहां से रोजाना अधिकारी आते-जाते हैं. यहां करीब 5 एकड़ से ज्यादा खेत में अवैध प्लॉटिंग कर बिक्री भी कर दी गई है. अब लोगों ने अपना मकान भी बनाना शुरू कर दिया है. लेकिन यहां भी किसी प्रकार के नियम कानून का पालन किए बगैर प्लॉट काट दिए गए.

मामले में सौंपा गया ज्ञापन

रास्ता बनाने तालब और पेड़ की चढ़ा दी बली

हैरत की बात ये है कि इस अवैध प्लॉटिंग के लिए वहां मौजूद तालाब के एक हिस्से और एक जीते जागते पेड़ की भी बली चढ़ा दी गई. क्योंकि उस खेत के मालिक को अपने खेत तक जाने के लिए लंबे चौड़े रास्ते की जरूरत थी. दिन दहाड़े हरे भरे विशाल वृक्ष को काटकर उसका नामो निशान उस जगह से मिटा दिया गया. साथ ही तालाब के एक किनारे को मिट्टी से पाटकर अपने खेत के लिए रास्ता तैयार किया गया.

जांच हुई पर कार्रवाई नहीं

पूरे मामले में नगर पालिका के अधिकारी और तत्कालीन तहसीलदार ने जांच कर रिपोर्ट भी तैयार की थी. जिसमें स्पष्ट लिखा है कि किस तरह से वहां तालाब को पाटकर उसे नुकसान पहुंचाया गया है. साथ ही अधिकारियों ने उस जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करने आदेश भी जारी किया था कि पाटे गए तालाब को पुनः उसी स्थिति में लाया जाए. लेकिन आज तक कार्रवाई के नाम पर एक पत्ता भी नहीं हिला.

बड़े नेता का संरक्षण इसलिए सूची में नाम नहीं

बताया जा रहा है कि जब भी अधिकारी इस मामले में कार्रवाई करने की कोशिश करते हैं. लेकिन ऊपर से बड़े नेता का फोन आ जाता है और उनके हाथ बांध दिए जाते हैं. इसलिए अभी तक अवैध प्लॉटिंग वाले सूची में इनका नाम नहीं है. जबकि 4 साल पहले से ही इस जमीन पर अवैध प्लॉटिंग शुरू हो चुकी है और अवैध प्लॉटिंग वाली लिस्ट में उक्त जमीन के मालिक का नाम न आना कई प्रकार के संदेह को जन्म दे रहा है.

जांच में सही पाई गई शिकायत

सक्ती तहसीलदार मनमोहन प्रताप सिंह ने बताया कि गागन डबरी के संबंध में शिकायत हुई थी. जिसमें तालाब के किनारे को पाटकर खेत के लिए रास्ता बनाया जा रहा है. जांच में शिकायत सही पाई गई थी. शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में भी रिट लगाया है. आदेश अभी नहीं मिला है.

अब सवाल ये है कि शिकायत सही पाए जाने के बाद भी जिम्मेदार इन माफियाओं पर कार्रवाई करने से क्यों डर रहे हैं. आखिर किसके संरक्षण में माफियाओं का राज फल-फूल रहा है, जिन पर कार्रवाई करने में अधिकारिओं के भी पसीने छूट रहे हैं ?