शिवम मिश्रा, रायपुर- उरला इंडस्ट्रियल एरिया की एक फैक्ट्री में जहरीली गैस के रिसाव की घटना के हफ्ते भर बाद भी कार्रवाई अब तक सिफर है. इस मामले में जिला प्रशासन ने न तो किसी तरह की पूछताछ की है और न ही फैक्ट्री प्रबंधन को नोटिस जारी किया है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जहरीली गैस के रिसाव पर जवाबदेही तय कौन करेगा?

बीते हफ्ते उरला के बोरझरा स्थित श्री बजरंग एलायंस लिमिटेड (एग्रो डिवीजन) में जहरीली गैस के रिसाव की घटना घटी थी. घटना देर शाम घटी, जब फैक्ट्री वर्कर काम खत्म कर लौट रहे थे. गैस रिसाव की खबर जैसे ही सामने आई थी, फैक्ट्री में हलचल मच गई. आनन-फानन में फैक्ट्री खाली कराया गया. गैस लिकेज ढूंढा गया और वक्त रहते लिकेज दुरूस्त कर दिया गया. इस घटना में कई मजदूर चपेट में आए, जिन्हें फौरन इलाज के लिए हाॅस्पिटल भेजा गया, लेकिन इस घटना की न तो कहीं शिकायत दर्ज की गई और नही इंडस्ट्रियल सेफ्टी से जुड़ा काम देखने वाले विभाग ने मीडिया रिपोर्ट्स के बाद इसकी सुध ली.
क्या बड़ी घटना के इंतजार में बैठा है प्रशासन?
बजरंग एग्रो प्रोसेसिंग लिमिटेड में जहरीली गैस के रिसाव की घटना की अनदेखी यह सवाल उठा रही है कि क्या प्रशासन किसी बड़ी घटना के इंतजार में बैठा है? जानकार बताते हैं कि जहरीली गैस का रिसाव ही फैक्ट्री के सेफ्टी मेजरमेंट को चेक करने के लिए काफी है. अब तक जिम्मेदार विभाग की ओर से यह कार्रवाई की जानी चाहिए थी. फैक्ट्री में लिकेज की घटना की मौके पर जाकर पड़ताल करनी चाहिए थी. फैक्ट्री प्रबंधन को सख्त नोटिस जारी कर घटना का विवरण लिया जाना चाहिए था, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई. लल्लूराम डाट काम ने जब जिम्मेदार अधिकारियों से इस बारे में पूछताछ की, तब अधिकारी हिलहवाला करते नजर आए. रायपुर जिले में इंडस्ट्रियल सेफ्टी के लिए लिए तैनात अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते दिखे.
उद्योग नियमों की उड़ा रहे धज्जियां
मुनाफा कमाने की होड़ में उद्योग लगातार मनमानी कर रहे हैं. उद्योगों की यह मनमानी और उदासीनता का खामियाजा एक बड़े तबके के लोगों की जिंदगी पर संकट बनकर खड़ा हो गया है. उरला के बोरझरा इलाके में संचालित इन उद्योगों से निकलने वाले जहरीले पानी ने न केवल आसपान के इलाकों में रहने वाले लोगों को बीमारियों से घेर दिया है, बल्कि फसलों को भी क्षति पहुंचा रहा है. लल्लूराम डाट काम की एक रिपोर्ट में स्थानीय निवासियों ने अपनी तकलीफ जाहिर की थी. लोगों ने यह जानकारी दी थी कि कई दौर की शिकायतों के बाद भी उनकी तकलीफों को कोई तवज्जों नहीं दिया जा रहा. उद्योगों ने जिंदगी को नर्क बना दिया है. प्रभावित इलाके में रहने वाले लोगों में बेहद आक्रोश हैं, लेकिन उनका आक्रोश दहशत फैलाने वाले उद्योगों के रवैये के आगे फीका पड़ रहा है.