इस साल के अंत तक 12 से 14 और चीतों को भारत लाने की कोशिश सरकार ने तेज कर दी हैं. जल्द ही भारतीय प्रतिनिधिमंडल दक्षिण अफ्रीका की यात्रा कर सकता है. जानकारी के मुताबिक केन्या के साथ भी इसके लिए बातचीत की जा रही है और एक समझौते को अंतिम रूप दिया जा रहा है. गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों के अगले समूह को लाने की योजना है.
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘इस मामले पर हम दक्षिण अफ्रीका से बातचीत कर रहे हैं. एक प्रतिनिधिमंडल ग्राउंड लेवल पर बातचीत करने के लिए सितंबर के अंत में या अक्टूबर की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करेगा. चीतों का अगला समूह इन दोनों में से किसी भी देश से आ सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने दक्षिण अफ्रीका को बताया है कि हम चीता प्रोजेक्ट स्टीरिंग कमेटी की सिफारिश और योजना के मुताबिक चीतों का एक और समूह इस साल के अंत तक लाने की कोशिश तेज करना चाहते हैं.’’
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य होगा नया ठिकाना
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों के अगले बैच को लाया जाएगा चीतों के रहने के लिए जिसे दूसरे घर के रूप में चुना गया है. गौरतलब है कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पहले से ही चीतों की क्षमता से 20 अधिक चीते हैं. भारत में चीतों के पहले ठिकाने कुनो में ज्यादा तेंदुओं की आबादी और कम शिकार की वजह से दिक्कतें आ रही हैं.
केंद्रीय समिति के मुताबिक सितंबर 2022 में भारत में चीतों को फिर से लाने के बाद से उनके लिए शिकार की व्यवस्था करना और तेंदुआ से बचाना प्रमुख चुनौतियां हैं. पिछले साल अगस्त में कम शिकार की वजह से ही जंगल से वापस लाए जाने के बाद चीतों को कुनो के बाड़ों में रखा गया था. फिलहाल अधिकारी कुनो और गांधी सागर दोनों में शिकार की व्यवस्था कर रहे हैं. इसके अलावा तेंदुओं को भी दूसरी जगह भेजा जा रहा है.
गांधी सागर 368 वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसके चारों ओर 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है. गांधी सागर में चीता लाने की कार्ययोजना के अनुसार पहले चरण में 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी-रोधी बाड़ वाले क्षेत्र में पांच से आठ चीते छोड़े जाएंगे जिनके प्रजनन पर ध्यान दिया जाएगा. कुनो-गांधी सागर परिदृश्य में 60-70 चीतों की मेटापॉपुलेशन स्थापित करना लॉन्ग टर्म लक्ष्य है.
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