Ram Temple Roof Leakage Row: अयोध्या में राम मंदिर की छत से पानी टपकने के मामले में नया मोड़ आ गया है. राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के दावे और आरोपों पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का बयान आया है. जिसमें उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि मंदिर के निर्माण में ना तो कोई लापरवाही हो रही है और ना ही इसमें कोई गड़बड़ी है.

दरअसल, मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (Chief priest Acharya Satyendra Das) ने राम मंदिर के निर्माण कार्य में लापरवाही (Negligence in the construction work of Ram temple) का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि प्री मानसून (Pre-Monsoon) की पहली बारिश में रामलला के मंदिर की छत टपक रही है. तेजी के साथ बारिश के पानी का रिसाव छत से हो रहा है.

सत्येंद्र दास के आरोपों के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने X पर एक बयान जारी किया है. जिसमें दावा किया है कि राम मंदिर गर्भगृह में जहां भगवान रामलला विराजमान हैं, वहां एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है. और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है.

Ayodhya के राम मंदिर निर्माण में हुई लापरवाही! मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने लगाए गंभीर आरोप, मचा बवाल

गर्भगृह में नहीं टपका एक बूंद भी पानी

चंपत राय ने कहा, ”जय श्रीराम! श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के संदर्भ में कुछ तथ्य आपके सामने रख रहा हूँ. पहली बात तो यह है कि गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है, और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है. दूसरा यह कि गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है , इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है, वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग ६० फीट ऊँचा) घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी. इस मंडप का क्षेत्र ३५ फीट व्यास का है….जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं, द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है.”

उन्होंने आगे बताया, ”रंग मंडप एवं गुढ़ मंडप के बीच दोनों तरफ (उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) उपरी तलों पर जाने की सीढि़यां हैं, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढँकेगी. सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है, जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है.”

ऐसे अंदर आया पानी

चंपत राय ने कहा, ”ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाईं जाती हैं. चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है अतः सभी जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश करा वहीं पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा.…ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है. जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था. उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा, प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा. फलस्वरूप कन्डयुट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा.”

बारिश के पानी की निकासी के लिए उत्तम प्रबंध

”मन्दिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है जिसका कार्य भी प्रगति पर है अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी. पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है. श्री राम जन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से रखने के लिये रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है.”

निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं: चंपत राय

मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L&T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है. अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नही है. उत्तर भारत में लोहे का उपयोग किए बिना केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है, देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं…

दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव

”भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है. जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है. प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख से एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं. प्रातः ६.३० बजे से रात्रि ९.३० बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है, किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश, पैदल चलकर दर्शन करना, बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है, मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है..”

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