रायपुर। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव ने कहा कि सरकार ने मनरेगा का आवंटन पिछले साल दो हजार 196 करोड़ रुपए का दिखाया, जिस वर्ष सूखा भी पड़ा. उन्होंने कहा कि आखिर कैसे मनरेगा का आवंटन 1 हजार 419 करोड़ कैसे हो सकता है. इस दिशा में सरकार को विचार करना चाहिए कि सूखे से जूझने के बावजूद मनरेगा के बजट में कटौती कर दी गई.
टी एस सिंहदेव ने कहा कि पूरे देश में सर्वाधिक गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है. इस हालत के बीच मनरेगा के बजट में कटौती 2 हजार 196 करोड़ से घटाकर 1 हजार 419 करोड़ रुपए करना समझ से परे है. वो भी ये तब है, जब मनरेगा के तहत 150 दिन के रोजगार का एलान सरकार ने किया है.
उन्होंने कहा कि 13 साल की बच्ची का सिर मुंड़वा दिया गया, आखिर सिटीजन चार्टर का क्या हुआ. टीएस सिंहदेव ने कहा कि जब दिल्ली सरकार ने दो लाख करोड़ रु की नीलामी का ढिंढोरा पीटा था, तब कहा गया था कि डीएमएफ में राज्य को 30 फीसदी राशि दी जाएगी, लेकिन पड़ताल में ये पता चला कि ये हर जगह के लिए नहीं है. केवल 10 फीसदी राशि ही डीएमएफ के जरिए आएगी.
टीएस सिंहदेव ने कहा कि डीएमएफ की राशि का खर्च ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा. इस राशि का उपयोग निर्धारित है. उन्होंने कहा कि कम से कम 50 फीसदी राशि खनन प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए करना है, लेकिन सरकार इस राशि का उपयोग ऐसी जगहों पर कर रही है, जहाँ नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि 14 वें वित्त आयोग की राशि का मोबाइल टावर लगाने के दौरान भी यही बात सामने आई थी.
टी एस सिंहदेव ने कहा कि हम बजट में ब्रह्मास्त्र खोज रहे थे. हमें लगा था कि चुनावी बजट है, तो ब्रह्मास्त्र देखने को मिलेगा. 25 मई को जो ब्रह्मास्त्र चला था, वैसा ब्रह्मास्त्र नहीं….
उन्होंने कहा कि बजट में शराब दुकानों को बंद किये जाने या कम किए जाने का एलान होगा, ऐसी उम्मीद की गई थी, क्योंकि सरकार ने कहा था कि आंशिक शराबबंदी में धीरे-धीरे शराब दुकानों को बंद किया जाएगा, लेकिन ये भी नहीं किया गया. बजट निराशाजनक रहा.