मनेंद्र पटेल, दुर्ग। भिलाई नगर निगम में सफाई और वेस्ट मैनेजमेंट के निपटान को लेकर निगम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा को अपर संचालक नगरीय निकाय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस नोटिस के माध्यम से सात दिन के भीतर जवाब मांगा गया है. इसे भी पढ़ें : “स्वच्छ भारत मिशन” के तहत खरीदी गई करोड़ों की ट्राइसाइकिलें पड़ी हैं धूल खाती, जिला पंचायतों पर लग रहे गंभीर आरोप

छत्तीसगढ़ में नगरीय प्रशासन विभाग के अपर संचालक ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में समीक्षा बैठक के दौरान वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा से सवाल पूछे, जिसका वे जवाब नहीं दे सके थे. जिसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी को डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का अभाव एवं SLRM सेंटरों में वेस्ट प्रोसेसिंग का अभाव वेस्ट डंपिंग की जानकारी को लेकर जवाब मांगा गया है.

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पत्र में अपर संचालक ने लिखा है कि निकाय की समीक्षा बैठक के दौरान उपरोक्त शासन आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है. जो कि पद के अनुरूप दायित्वों के निवर्हन में लापरवाही एवं उदासीनता को दर्शाता है. स्पष्ट करें कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा एवं छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम के तहत क्यों न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जाए. अपर संचालक ने स्वास्थ अधिकारी को पत्र प्राप्ति के 7 दिवस के भीतर जवाब मांगा है.

वहीं निगम के नेता प्रतिपक्ष भोजराज सिन्हा ने नगरीय प्रशासन मंत्री को पत्र लिखकर निगम क्षेत्र के सफाई ठेके में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. अब इस मामले में निगम के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. जनसंपर्क अधिकारी शरद दुबे ने केवल इतना बताया कि अपर संचालक ने वीडियो कांफ्रेसिंग में सफाई व्यवस्था को लेकर जानकारी चाही थी, जिसकी जानकारी स्वास्थ्य अधिकारी नहीं दे पाए थे. इसी वजह से नोटिस जारी किया गया.

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निगम के नेता प्रतिपक्ष भोजराज सिन्हा ने बताया कि शहर की सफाई के लिए नागपुर की कंपनी मेसर्स अर्बन इनवायरो वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड को ठेका दिया गया था. यह ठेका 36 करोड़ 54 लाख 98 हजार 580 रुपए में दिया गया था. लेकिन कंपनी ने कांग्रेस शासन काल में निगम के अधिकारियों और पदाधिकारियों से मिलकर नियम-कायदों को ताक में रखा और साफ सफाई पर ध्यान ना देकर करोड़ों रुपए का भ्रष्चाटार किया है.

भोजराज सिन्हा ने कहा कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत भी वार्ड में लगाए जाने वाले सफाई कर्मियों की जानकारी मांगी थी, लेकिन निगम के पास इसका कोई रिकार्ड नहीं था. वही कंपनी अपने हाजिरी रजिस्टर को गोपनीय दस्तावेज बताकर जानकारी नहीं देना चाह रही थी.