सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। जांच के नाम पर खानापूर्ति करना महंगा पड़ा. जांच करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ. आरोपी प्राचार्य को बचाने के फेर में डीईओ टीआर साहू, बीईओ रविंद्र मिश्रा घिरते नजर आ रहे हैं, जिनसे जांच में खामी को लेकर जवाब मांगा गया है.

गौरतलब है कि कांकेर जिला के नरहरपुर विकासखंड स्थित करपा हाईस्कूल के प्राचार्य दुर्गा नेताम पर सरस्वती साइकिल योजना के नाम पर पैसे वसूली का आरोप लगा है. छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल दी जाती है, लेकिन प्राचार्य पर आरोप है कि छात्राओं को पर्सनल नंबर पर तीन बार सौ-सौ रुपया जमा करने के लिए मैसेज भेजा गया था.

इस मैसेज के वायरल होने के बाद जांच कमेटी गठित की गई थी, लेकिन कमेटी ने जांच के नाम पर खानापूर्ति करते हुए प्राचार्य को बचाने की कोशिश की. जिसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है. नोटिस में कहा गया है कि जांच एक पक्षीय है, अधूरा है, और लापरवाही पूर्ण तरीके से किया गया है.

जवाब देने के लिए सात दिन का समय

लोक शिक्षण संचालक संचालक सुनील जैन ने बताया की जाँच अधिकारी, डीईओ और जेडी तीनों को लापरवाही बरतने पर इस कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. एक सप्ताह का समय दिया गया है. जवाब उचित नहीं आने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

जांच रिपोर्ट का आठ बिंदुओं पर पोस्टमार्टम

  • छात्र-छात्राओं से शिक्षा समिति तथा स्वयं प्राचार्य के सामने छात्राओं का बयान लेना त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया है. केवल 7 छात्राओं का एक ही पेपर में सामूहिक बयान लिया गया है कि उनसे किसी के द्वारा पैसा नहीं लिया गया है, ये भी त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया है
  • किसी भी छात्र के पालक का बयान नहीं लिया गया है, जिससे वास्तविकता और स्पष्ट होती.
  • मूल शिकायतकर्ता का भी बयान नहीं लिया गया है.
  • जाँच अधिकारी द्वारा हाईस्कूल करप विकासखंड नरहरपुर में स्वयं उपस्थित होकर प्राचार्य की उपस्थिति में छात्राओं का बयान लिया गया है, लेकिन मूल आरोपी प्राचार्य की उपस्थिति के बाद भी उनका औपचारिक बयान नहीं लिया गया है.
  • मोबाइल की स्क्रीनशॉट की प्रामाणिकता के बारे में कोई जांच नहीं की गई है. यह भी जांच नहीं की गई है कि वास्तव में प्राचार्य ने साइकिल देने के लिए सौ-सौ रुपए वसूली के लिए वॉट्सएप मैसेज जारी किया गया है या नहीं.
  • मूल शिकायत की सत्यता या विश्वसनीयता के संबंध में वॉट्सएप मैसेज की रिकवरी करने के प्रयास के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
  • शिकायत के आधार पर कोई जाँच नहीं की गई है कि प्राचार्य द्वारा उनकी निजी मोबाइल नंबर से तीन बार वास्तव में से जारी किया गया था या नहीं ? मैसेज द्वारा रुपया की माँग की गई थी या नहीं ? मैसेज सभी छात्रों को मिला था या नहीं ? प्राचार्य द्वारा चेतावनी दी गई थी या नहीं ? पालकों की ओर से साइकिल के लिए रुपया दिया गया था कि नहीं? यह मैसेज प्राप्त कुल कितती छात्राओं ने ने सौ-सौ रुपये जमा किया? प्राचार्य द्वारा छात्राओं को कब कब राशि वापस की गई?