रायपुर. किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि वो महीनेवार ऐसी कौन सी फसलें लगाएं जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो सके.  इसी कड़ी में हम ऐसी कुछ फसलों की जानकारी किसानों को दे रहे है जिसे बोकर वे अच्छा मुनाफा कमा सकते है. इसी क्रम में आज हम नवंबर माह में बोई जाने वाली फसलों के बारे में जानकारी दे रहे है. ये पूरी जानकारी हमें रायपुर के किसान मितुल कोठारी ने उपलब्ध कराई है. आप भी खेती किसानी से जुड़ी कोई जानकारी, लेख या वीडियो जानकारी के उद्देश्य से लल्लूराम डॉट कॉम के माध्यम से देशभर के किसानों तक पहुंचाना चाहते है तो हमें 9329111133 नंबर पर संपर्क कर सकते है.

ये हो सकती है मुनाफेदार फसलें


फूलगोभी

फूलगोभी एक लोकप्रिय सब्जी है और क्रूसिफेरस परिवार से संबंधित है. इसकी अगेती किस्मों की रोपाई के लिए अच्छा समय जून-जुलाई का होता है. वहीं पिछेती किस्मों के लिए अगस्त से मध्य सितंबर और अक्टूबर से नवंबर का पहला सप्ताह रोपाई के लिए अच्छा रहता है.

पत्ता गोभी

पत्तागोभी की खेती उचित समय सितंबर से अक्टूबर का होता है लेकिन नवंबर में भी इसकी खेती की जा सकती है. आमतौर पर पत्ता गोभी फसल की अवधि 60-120 दिन होती है. औसत उत्पादन 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

टमाटर

टमाटर की खेती करीब-करीब पूरे भारत में की जाती है. देश में उत्तरी मैदानों में शरद एवं बसंत ऋतु में इसकी दो फसलें ली जाती है. वहीं दक्षिणी भारत में टमाटर की तीन फसलें ली जाती है, जिनकी बुवाई जून – जुलाई, अक्टूबर – नवंबर और जनवरी – फरवरी में होती है. जबकि पंजाब में केवल बसंत से ग्रीष्म ऋतु मौसम की फसल ली जाती है.

शलगम

शलगम को शरद ऋतु में उगाया जाता है. यह अधिक ठंड व पाले को सहन करने की क्षमता रखता है. इसलिए इसकी खेती सर्दियों में की जाती है. इसकी खेती के लिए इसकी उन्नत किस्मों में लाल-4 व सफेद-4 शीघ्र तैयार होने वाली है किस्में हैं. लाल किस्म को अधिकतर शरद ऋतु में लगाते हैं. इसकी जड़े गोल, लाल तथा मध्यम आकार की होती हैं जो 60 दिन में तैयार हो जाती है. सफेद-4 को बारिश में उगाया जाता है. यह भी शीघ्र तैयार होने वाली किस्म है.

मूली

मूली की खेती मैदानी और पहाड़ी दोनों इलाकों में की जाती है. मैदानी इलाकों में इसकी बुवाई सितंबर से जनवरी तक की जाती है. जबकि पहाड़ी इलाकों में इसे अगस्त तक बोया जाता है.

पालक

पालक की खेती साल के बारहों महीनें की जा सकती है. लेकिन इसकी बुवाई के लिए वैसे अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक का समय काफी उपयुक्त रहता है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की एक बार बुवाई करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई की जा सकती है.

शिमला मिर्च

शिमला मिर्च के बीजों को साल में तीन बार बोया जा सकता है. पहले जून से जुलाई तक, दूसरा अगस्त से सितंबर और तीसरा नवंबर से दिसंबर तक. इसकी फसल के लिए नर्म आद्र्र जलवायु की आवश्यकता होती है. शिमला मिर्च की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए कम से कम 21 से 25 सेंटीग्रेट तक का तापमान अच्छा होता है. ज्यादा पाला गिरना इसकी फसल के लिए नुकसानदेय होता है. इसलिए इसे पाले से बचाना जरूरी होता है.

मटर

दहलनी फसलों में मटर का प्रमुख स्थान है. मटर की बुवाई का भी यह उचित समय है. इसकी खेती के लिए अक्टूबर व नवंबर का महीना काफी उपयुक्त होता है. मटर की किस्में मटर की किस्मों को दो भागों में विभाजित किया गया है. इसमें एक फील्ड मटर और दूसरी सब्जी मटर या गार्डन मटर है.

धनिया

धनिया की फसल रबी मौसम में बोई जाती है. धनिया बोने का सबसे उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर है. धनिया की सामयिक बोनी लाभदायक है. दानों के लिये धनिया की बुआई का उपयुक्त समय नवंबर का प्रथम पखवाड़ा हैं.

लहसुन

अधिक गर्म व अधिक ठंडे मौसम को छोडक़र लहसुन खेती सभी प्रकार की जलवायु में की जा सकती है. इसे 1000-1300 समुद्रतल तल की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.

प्याज

प्याज की बुवाई आमतौर पर नवंबर के अंतिम सप्ताह में की जाती है. बुवाई नर्सरी में की जाती है. एक हैक्टेयर खेत के लिए पौध तैयार करने के लिए 1000 से 1200 वर्ग मीटर में बुवाई की जानी चाहिए. एक हैक्टेयर खेत के लिए 8 से 10 किलो बीज की जरूरत होती है. अनुमानत: एक वर्ग मीटर में 10 ग्राम बीज डालना चाहिए. बुवाई के बीजों को कतार में डालना चाहिए. इसमें कतार से कतार की दूरी 4 से 5 सेमी और बीज से बीज की दूरी दो तीन सेमी गहराई दो से ढाई सेमी होनी चाहिए.

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