शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में अब जल्द ही मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलेगी इस सस्पेंस से पर्दा उठने वाला है। आगामी 23 या 24 दिसंबर को मिनिस्टर सस्पेंस खत्म होने के पूरे आसार हैं। इस बार भी छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ही चौकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं। दरअसल, छत्तीसगढ़ में 9 में से पांच विधायक ऐसे हैं जो पहली बार मंत्री बने हैं। उधर, मध्यप्रदेश में भी नए चेहरों को लेकर भी चर्चा जोरों पर हैं। राजधानी से ही तीन-तीन नामों को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है। 

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इसमें रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री और कृष्णा गौर का नाम शामिल है। सियासी जानकारों का मानना है कि हिंदी प्रदेशों को लेकर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व लगभग एक सी रणनीति के तहत नवाचार के निर्णय ले रहे हैं। फिर विधानसभा टिकट वितरण से लेकर मुख्यमंत्री पद की बात हो या जाति और क्षेत्रगत समीकरणों को साधने की। लिहाजा सीजी का फार्मूला एमपी में दिखाई दे सकता है। 

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मामले पर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सतेंद्र जैन का भी साफ कहना है कि सीजी के नवरत्न की तर्ज पर एमपी में भी युवा और महिलाओं का मंत्रिमंडल में जोर दिखाई देगा। जाति और क्षेत्रगत समीकरणों का पूरा मिश्रण दिखाई देगा। उधर, मंत्रिमंडल को लेकर बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस ने एक बार फिर निशाना साधा। प्रदेश प्रवक्ता मिथुन अहिरवाल ने कहा कि बीजेपी की इस जीत में भी दर्जन भर मंत्रियों को मुंह की खानी पड़ी।

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दूसरी तरफ दिग्गजों ने अंगद की तरह ऐसे पांव जमाए जो बीजेपी के वरिष्ठों के लिए असंभव चुनौती बन गए हैं। अंदरूनी भारी कलह से जूझ रही बीजेपी को मंत्री पद के लिए पुराने तो ठीक नए चेहरों के नाम पर भी पसीना आ रहा है। पद की मलाई की लूट से कांग्रेस को लेना देना नहीं। लेकिन, मंत्रिमंडल में देरी से जनता की परेशानी को समझने की जरूरत है।

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