दिल्ली. प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में एलपीजी के बजाए मिथेनॉल गैस के कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके लिए नीति आयोग की अगुवाई में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन से चार महीने में मिथेनॉल गैस से भरे सिलिंडरों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।

नीति आयोग के सदस्य और प्रख्यात वैज्ञानिक डा. वीके सारस्वत ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खाना बनाने के ईंधन के रूप में मिथेनॉल गैस का परीक्षण हो चुका है।

इस ईंधन का परीक्षण इंडियन ऑयल कारपोरेशन के अनुसंधान एवं विकास डिवीजन में करीब छह महीने तक हुआ। इस दौरान पाया गया है कि यह गैस एलपीजी के मुकाबले न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि इसका कैलोरिफिक वैल्यू (दहन ऊष्मा) भी एलपीजी के ही बराबर है। साथ ही यह एलपीजी गैस के मुकाबले काफी सस्ता है। अभी 14 किलोग्राम वाले घरेलू सिलिंडर की कीमत (बगैर सब्सिडी) की कीमत करीब एक हजार रुपये पड़ती है, वहीं मेथनॉल गैस से भरे सिलेंडर की कीमत 600 रुपये ही पड़ती है।

डा. सारस्वत ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, वाराणसी आदि जिलों की पहचान हो चुकी हैं। इन जिलों में गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले परिवारों को 20 हजार मिथेनॉल गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार से बात हो चुकी है और इस संबंध में प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। सब ठीक रहा तो अगले तीन-चार महीने में लाभार्थी को मिथेनॉल गैस कनेक्शन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही असम सरकार ने भी वहां 50 हजार घरों में मिथेनॉल गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना है।