लखनऊ, यूपी। संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर का नाम अब बदल गया है. अब से सभी सरकारी रिकॉर्ड और दस्तावेजों में उनका नाम होगा- डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर. जी हां भीमराव अंबेडकर के नाम में रामजी शब्द भी जोड़ दिया गया है. बाबा साहब के नाम को लेकर ये बड़ा फैसला किया है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने. राज्यपाल राम नाइक की सिफारिश के आधार पर ये फैसला किया गया गया है.
नाम बदलने के पीछे की असली वजह
दरअसल उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने डॉ भीमराव अंबेडकर का नाम बदलने का सुझाव दिया था. उनका कहना था कि अंबेडकर महाराष्ट्र राज्य से संबंध रखते थे और उनके नाम के साथ रामजी नहीं लगाकर कहीं न कहीं हम उनका अधूरा नाम ही ले रहे थे. क्योंकि महाराष्ट्र में परंपराओं के मुताबिक पिता का नाम बेटे के साथ लगाया जाता था और बाबा साहब के पिता का नाम रामजी था, इसलिए उनके नाम के साथ अब रामजी भी जोड़ा गया है. अब नए नाम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी विभागों के साथ ही इलाहाबाद और लखनऊ हाईकोर्ट की बेंचों को आदेश जारी कर दिया है.
वहीं राज्यपाल राम नाईक ने ये भी कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर का वर्तमान नाम सही नहीं लिखा जाता, क्योंकि उनका सरनेम अंबेडकर नहीं बल्कि आंबेडकर है. बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर महासभा के निदेशक डॉ लालजी प्रसाद निर्मल का भी कहना है कि बाबा साहब के नाम का सही उच्चारण होना चाहिए.
विपक्ष ने लगाए आरोप
इधर समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि योगी सरकार बाबा साहब के नाम के साथ रामजी जोड़कर हिंदू मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि नाम बदलने के पीछे सिर्फ सियासी चाल है.
वहीं कल्कि धाम प्रमुख आचार्य प्रमोद ने ट्वीट करके लिखा है कि अंबेडकर के नाम से राम जोड़ने से कुछ नहीं होगा क्योंकि सब जानते हैं कि तुम दलित विरोधी हों. जाहिर है आचार्य प्रमोद का निशाना योगी सरकार थी जिसने ये फैसला लिया है.
बाबा साहब अम्बेडकर के नाम के साथ “राम” जोड़ने से भी कुछ नहीं होगा, क्यूँ के सारी “दुनियाँ” जानती है के तुम “दलित” विरोधी हो.
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) March 29, 2018