जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय में मंगलवार शाम दशहरा समारोह से पहले ‘शस्त्र पूजा’ का विरोध कर रहे एनएसयूआई के कम से कम एक दर्जन पदाधिकारियों को हिरासत में लिया गया और कई पर लाठीचार्ज किया गया. यह कार्यक्रम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता निम्बाराम मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले थे.
विरोध-प्रदर्शन के दौरान, दोनों संगठनों के पदाधिकारियों के बीच झड़प हो गई और पुलिस ने मूसलाधार बारिश में उन पर लाठीचार्ज किया. विपक्ष के नेता टीका राम जूली ने कहा, “राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई नेताओं पर लाठीचार्ज, उनके वाहनों में तोड़फोड़ और भाजपा व आरएसएस की नफ़रत भरी राजनीति का विरोध करने पर उन्हें गिरफ़्तार करना बेहद निंदनीय है. मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूँ कि शिक्षा के इन मंदिरों को राजनीति का अखाड़ा न बनाएँ. हिरासत में लिए गए सभी एनएसयूआई पदाधिकारियों को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए.”
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ ने कहा कि एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने आरएसएस की सांप्रदायिक विचारधारा का विरोध करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया और अपने बैनर-पोस्टर हटाने के लिए कार्यक्रम स्थल पर गए. उन्होंने कहा, “एनएसयूआई का दृढ़ विश्वास है कि विश्वविद्यालय ज्ञान, वैज्ञानिक सोच और समावेशी विचारधारा के केंद्र होने चाहिए, न कि राजनीतिक या सांप्रदायिक संगठनों का मंच. आरएसएस जैसे संगठन द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में कार्यक्रम आयोजित करना संविधान की मूल भावना, शैक्षणिक स्वायत्तता और लोकतांत्रिक मूल्यों का सीधा उल्लंघन है.”
एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश कुमार भाटी ने कहा, “हम एनएसयूआई पदाधिकारियों पर लाठीचार्ज और हमले की निंदा करते हैं. एनएसयूआई सदस्यों के वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया, जो पूरी तरह से गलत है.” एनएसयूआई के छात्र नेता महेश चौधरी ने कहा, “न केवल छात्रों को पीटा गया, बल्कि हमारे वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
विश्वविद्यालय परिसर किसी पार्टी का केंद्र नहीं, बल्कि शिक्षा का मंदिर है. वहां शस्त्र पूजा जैसी हरकत नियमों के खिलाफ है.” इस बीच, गांधी नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने कहा कि एनएसयूआई के पदाधिकारी बिना अनुमति के परिसर में प्रवेश करके कार्यक्रम को बाधित करने का प्रयास कर रहे थे, और पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा.
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