रायपुर। पोषण अभियान के तहत इस महीने यूनिसेफ ने महिला और बाल विकास विभाग के सहयोग से बच्चों के कुपोषण पर COVID-19 के प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए की जाने वाली कार्रवाई पर जिला और राज्य स्तर का मीडिया के लिए वेबिनार की एक श्रृंखला आयोजित की।

महिला और बाल विकास विभाग के सचिव आर प्रसन्ना ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि मार्च महीने में आंगनवाड़ी केंद्रों के बंद होने के बाद से सरकार ने राज्य में बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें हर महीने घरों तक सूखा राशन पहुंचाना और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत अतिरिक्त पोषण सेवाओं का प्रावधान शामिल है। उन्होंने कहा कि दो तरह की पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए आंगनवाड़ी केंद्र खोले जा रहे हैं – बच्चों और महिलाओं को गर्म पका भोजन और बच्चों का टीकाकरण तथा गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण। उन्होंने यह भी बताया की COVID के जोखिमों को कम करने के लिए सभी सावधानियां बरती गई हैं तथा आंगनवाड़ी केंद्र केवल स्थानीय प्रशासन और क्षेत्र के लोगों की सहमति से ही खोले जाएंगे।

यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख जॉब जकारिया ने कहा कि “वैश्विक प्रमाणों से पता चलता है कि COVID के कारण बच्चों में कुपोषण 14% तक बढ़ जाएगा। चूंकि कुपोषण बाल मृत्यु का मूल कारण है, हमें कुपोषण को रोकने की आवश्यकता है। गंभीर तीव्र कुपोषण (SAM) वाले बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और उन्हें राज्य में पोषण पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाना चाहिए।“ जकारिया ने 12 विश्व स्तर पर सिद्ध कार्यों का सुझाव दिया जो बच्चों में कुपोषण को रोकेंगे।

दोनों वक्ताओं ने कुपोषण से लड़ने के लिए समुदायों में कार्य करने और दृष्टिकोण बदलने के लिए जनता में धारणा बनाने में मीडिया की भूमिका पर जोर दिया।

COVID-19 के संदर्भ में बच्चों और महिलाओं में कुपोषण और एनीमिया के प्रसार को कम करने के अपने त्वरित प्रयासों के तहतए सरकार ने 3.6 साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक गर्म पकाया भोजन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। COVID-19 के बारे में लोगों की आशंकाओं को दूर करने के लिए महिला और बाल विकास विभाग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसमें सावधानी बरतने, केंद्रों पर सामजिक दूरी बनाये रखना, मास्क पहनना, और साबुन से हाथ धोना शामिल है। विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देश जारी किए हैं कि भोजन को सुरक्षित रूप से पकाया जाए, साफ बर्तनों में परोसा जाए और जगह को अच्छी तरह से साफ किया जाए।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार 5 साल से कम उम्र के लगभग 38% बच्चे कुपोषित हैं और 42% बच्चे राज्य में एनीमिक हैं। लगभग 47% महिलाएं और 46% किशोरियाँ एनीमिक हैं। छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) भी प्रति 1000 जीवित जन्मों में 38 से बढ़कर 41 हो गई है।

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