यशवंत साहू. दुर्ग. 4 बच्चियों से अश्लील हरकत के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रामचरित मान की कुछ पक्तियों का जिक्र किया. न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी ने फैसले में कहा है कि अनुज वधु भगिनी सुत नारी, सुनुन सठ कन्या सम ए चारी. इन्हीं कृदृष्टि विलाकई जोई, ताहि बंदे कछु पाप न होई. अर्थात-छोटे भाई की पत्नी, बहन, बहू और कन्या ये चारों समान हैं. इन पर बुरी नजर रखने वाले का संहार पाप नहीं है.
5 साल पहले भिलाई के सेक्टर-6 स्थित एमजीएम स्कूल (MGM SCHOOL) में चार नाबालिग बच्चियों के साथ अश्लील हरकत करने के मामले में सोमवार को न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी की कोर्ट ने फैसला सुनाया.
कोर्ट ने बच्चियों के साथ बाथरुम में अश्लील हरकत करने वाले स्कूल के सफाई कर्मी एस सुनील दास को आजीवन कारावास से दंडित किया. इसके साथ पॉक्सों एक्ट के मामले में गंभीरता नहीं दिखाने वाली नर्सरी क्लास की इंचार्ज प्रतिभा होलकर, महिला शिक्षक सुंदरी नायक और स्कूल प्रबंधक साजन थामस को 6-6 महीने की सजा सुनाई. तीनों पर 10-10 हजार की अर्थदंड भी लगाया. स्कूल के डेनियल वर्गीस को 1 साल के कारावास के साथ 20 हजार रुपए के अर्थदंड लगाया. यह अपने तरह का संभवत: पहला मामला है जब न्यायालय ने आरोपी के अलावा स्कूल प्रबंधन के चार अन्य लोगों को जिम्मेदार मानते हुए सजा सुनाई है.
पीड़ित पक्षों की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक एमए खान ने पैरवी की
घटना वर्ष 2016 की है. चार वर्षीय छात्रा के परिजन ने 25 फरवरी 2016 को थाने में सफाईकर्मी एस. सुनील के खिलाफ शिकायत की थी. बच्चियों ने बताया कि चार पांच दिन से सफाई करने वाले अंकल उसके साथ अश्लील हरकत कर रहे थे. घटना की जानकारी लगने के बाद परिजन सबसे पहले स्कूल प्रबंधन को शिकायत की. परिजन की शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय इंचार्ज प्रतिभा और शिक्षक सुंदरी ने स्कूल में ऐसी घटना होने से इंकार करते हुए परिजन को भगा दिया. जिसके बाद परिजन ने इसकी शिकायत थाने में की. अगले दिन एक केजी 2 की छात्रा के परिजनों की शिकायत पर प्राचार्य डेनियल और प्रबंधक साजन थामस पर केस दर्ज हुआ.
लोक अभियोजक के मुताबिक चौथी एफआईआर पुलिस ने स्कूल प्रबंधक साजन थामस और प्रिसिंपल डेनियल वर्गीस के खिलाफ दर्ज किया गया. यह एफआईआर इसलिए दर्ज की गई कि परिजन घटना का पता लगने के बाद स्कूल में शिकायत करने गए थे. गंभीर घटना की जानकारी लगने के बाद भी प्रिंसिपल और प्रबंधक ने पुलिस को जानकारी नहीं दी. मामलों को दबाने के लिए स्कूल मैनेजमेंट ने पीड़ितों के परिजन को धमकाकर भगा दिया था. उन पर तोड़फोड़ और गुंडागर्दी करने का आरोप लगाकर केस में फंसाने की धमकी दी.
लोक अभियोजक बालमुकुंद चंद्राकर ने मीडिया को बताया कि कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि एमजीएम स्कूल जैसे प्रतिष्ठित विद्यालय में नाबालिग बच्चियों के साथ इस प्रकार का जघन्य अपराध कारित होने की इस घटने से संपूर्ण मानवता को शर्मसार किया है. विद्यालय जैसी पवित्र संस्था को लेकर सामान्य जन के मन में एक अविश्वास उत्पन्न किया है. ऐसे में इस निर्णय की प्रति जिला कलेक्टर को भेजी जाए. कोर्ट ने विधि अनुसार अपेक्षित कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. जिससे प्रशासन द्वारा समय रहते उचित एवं आवश्यक कदम यथा स्कूल की कार्यप्रणाली में बच्चों की सुरक्षा की व्यापक जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश का पालन करवाया जाने की बात कही गई है. ताकि जघन्य अपराधों को रोका जा सके.