कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। चॉकलेट भला किसे पसंद नहीं होती है। इसका नाम लेते ही ज्यादातर लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। और जब चॉकलेट टेस्टी होने के साथ हेल्दी हो जाए तो इसका स्वाद और ज्यादा बढ़ जाता है। जीवाजी यूनिवर्सिटी ( Jiwaji University) की फूड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने प्रो बायोटिक डार्क चॉकलेट (pro biotic dark chocolate) बनाई है जो सेहत का खजाना है। एमएससी थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही छात्रा चांदनी रॉय ने इसे तैयार किया है।
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यह चॉकलेट शुगर पाचन संबंधी समस्याओं के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों में संजीवनी की तरह काम करती है। विशेषकर बच्चो के लिए सबसे ज्यादा कारगर बताया गया हैं। फूड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर जीबीकेएस प्रसाद और प्रो निधि गोस्वामी के मार्गदर्शन में इसे तैयार कराया गया है। इस प्रोजेक्ट का प्लान डिपार्टमेंट से एमएससी थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही छात्रा चांदनी रॉय ने तैयार किया। और इसे दोनो प्रोफेसर की मदद से लेबोरेटरी में बनाया।
क्या होता है प्रो-बायोटिक,इससे कैसे मिलता है लाभ?
प्रोबायोटिक एक नेचुरल सप्लीमेंट्स होते है, जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी होते हैं। यह अन्य आर्टिफिशियल सप्लीमेंट की तरह शरीर के ऑर्गन्स पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालते हैं। यही कारण है कि प्रोबायोटिक चॉकलेट के सेवन से शरीर में बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों को संतुलित किया जा सकता है यह चॉकलेट आंतों को मजबूत करने में सहायता करती है। जिससे पाचन प्रक्रिया संतुलित हो जाती है और व्यक्ति को भूख भी अच्छी लगने लगती है जिससे उसके शरीर की कार्यप्रणाली सीधे तौर पर पॉजिटिव हो जाती है और शरीर के अंदर के फैट को कंट्रोल करते हुए एक निरोगी काया प्रदान करती है। इस प्रोबायोटिक डार्क चॉकलेट को तैयार करने के लिए इसका क्वालिटेटिव और क्वांटिटेटिव एनालिसिस किया जाता है और इस बता पर निगरानी रखी जाती है कि तैयार करने के दौरान सभी कंटेंट उचित मात्रा में मिलाए गए हैं या नही। इसे तैयार करने के लिए मिल्क पाउडर और कोको पाउडर को मिक्स करके कुछ देर रखा जाता है इसके बाद सामान्य बटर मिक्स करते हुए थोड़ी देर बाद इस मिक्चर में प्रोबायोटिक मिलाए जाते हैं इस मिश्रण को 1:30 से 2 घंटे तक मोल्ड में डाल कर रखा जाता है जिसके बाद तैयार हो जाती है सेहत के खजाने से भरी हुई प्रोबायोटेक डार्क चॉकलेट।
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फूड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में बहुत सी रिसर्च जारी
गौरतलब है कि जीवाजी विश्वविद्यालय के फूड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ( Food Technology Department of Jiwaji University) के अनुसार विभाग में अन्य बहुत सी रिसर्च जारी है। वर्तमान समय में यदि कोई इस प्रोबायोटिक डार्क चॉकलेट के जरिए स्टार्टअप शुरू करना चाहता है तो उसके लिए संस्थान की ओर से ट्रेनिंग भी उपलब्ध कराई जाएगी, क्योंकि इसका मार्केट में अच्छा व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है। इससे एक नया स्टार्टअप शुरू होते हुए खुद के साथ दूसरे अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।
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