भुवनेश्वर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भक्त दास ने दो दिन पहले कहा था कि पार्टी पिछले चुनाव के निर्दलीय उम्मीदवार घासीराम माझी को नुआपड़ा उपचुनाव में उतार सकती है. भक्त ने कहा कि पिछले चुनाव में घासीराम को टिकट नहीं दिया गया था. लेकिन अब, माफी के बाद, वह नुआपड़ा जीला संयोजक हैं. इसे उनकी एक राजनीतिक चाल बताया जा रहा है. क्योंकि कांग्रेस के पास इतनी जीत की संभावना वाला कोई उम्मीदवार नहीं है. इसीलिए उन्होंने घासीराम माझी को मैदान में उतारा है. पिछले चुनाव में घासीराम को जहाँ 51,000 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को 15,000 वोट मिले थे. इसलिए भक्त का अनुमान है कि कांग्रेस के वोट बढ़ेंगे. इसलिए, वह जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी और को देने और घासीराम को कांग्रेस उम्मीदवार बनाने की तैयारी में हैं.

स्थानीय इलाके में चर्चा है कि अगर कांग्रेस घासीराम माझी को टिकट देती है, तो इससे पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि आदिवासी कल्याण संघ उनका विरोध कर रहा है. पिछले चुनाव में घासीराम को 51,000 वोट मिले थे, जो आदिवासी संघ की बदौलत ही मिले थे. उन्होंने पिछले चुनाव में कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव है. अगर वे हार भी गए, तो संघ के साथ बने रहेंगे. लेकिन हारने के बाद वे फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए, जो आदिवासी कल्याण संघ को पसंद नहीं है. यहां तक कि बताया जाता है कि संघ ने उन्हें आदिवासी विरोधी गतिविधियों के लिए एक साल के लिए निष्कासित भी कर दिया था.
अगर कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद भी आदिवासी कल्याण संघ उनका विरोध करता रहा, तो यह घासीराम के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर देगा. नतीजतन, कुछ लोगों का कहना है कि उपचुनाव में वे अपनी सीट हार जाएँगे. तो, कांग्रेस घासीराम माझी को मैदान में उतारती है या नहीं, उन्हें कितने वोट मिल रहे हैं? इस पर चर्चा होगी. और अगर भक्त अपने मसौदे में असफल होते हैं और घासीराम फिर से निर्दलीय उम्मीदवार बनते हैं, तो कहा जा रहा है कि यह कांग्रेस के लिए घातक हो सकता है.