• एक किसान के खेत में पानी नहीं आता था.
  • अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर वे थक गए थे.
  • लेकिन फिर किसान ने एक आविष्कार किया.

  • ये किसान ओडिशा के मयूरभंज जिले के है.
  • यहां महुर टिपिरिया नाम के एक किसान ने नदी से 2 किलोमीटर दूर अपने खेतों में पानी ले जाने के लिए एक देशी जलपहिया का जुगाड़ बनाया है.
  • ये जलपहिया बांस और लकड़ियों से मिलकर बनाया गया है.

  • इसमें एक बड़ा सा गोल पहिया लगा हुआ है जो एक पवनचक्की की तरह पानी और हवा के बहाव से घूमता रहता है.
  • इस पहिये में किसान ने पानी पीने वाली बोतलें लगाई हैं.
  • इन बोतलों के मुंह वाले हिस्से को ढक्कन से ही बंद रखा गया है
  • बोतल के निचले हिस्से को काटकर उन्होंने एक खुले बर्तन की तरह बना लिया है.

  • इसमें पानी संग्रहित होता रहे, निकलता रहे.
  • पहिये में जुड़ी हुई लकड़ियों से ऐसी तीस-चालीस बोतलें लगी हुई हैं.
  • पहिया घूमता जाता है और इन बोतलों में पानी भरता जाता है.
  • पहिये के बीच की ऊंचाई पर ही पास में एक संग्रहण केंद्र बनाया गया है.

  • पानी की बोतलों का मुंह इस संग्रहण केंद्र की तरफ ही रखा गया है.
  • पानी की बोतल जब भी इसके पास से गुजरती है तो पानी की बोतल में जमा हुआ पानी इस संग्रहण केंद्र में आकर गिरता जाता है.
  • इस संग्रहण केंद्र में इकट्ठा हुआ पानी बांस से बनी हुई पम्पों से गुजरता हुआ चलता जाता है.
  • जो अंत में किसान के खेतों तक पहुंचता है.
  • इस तरह दो किलोमीटर दूर स्थित स्थानीय नदी का पानी किसान के खेतों तक पहुंचने लगा है.