कटक. पुरी के जगन्नाथ मंदिर (श्रीमंदिर) रत्न भंडार के मरम्मत के मामले में शुक्रवार को ओडिशा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इसमें हाई कोर्ट ने श्रीमंदिर प्रशासन को दो महीने में उच्च स्तरीय समिति बनाने के निर्देश दिए हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता पीतांबर आचार्य ने हाईकोर्ट के फैसले को ओडिशा के 4.5 करोड़ लोग और सनातन धर्म की जीत बताया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को अक्टूबर 2024 तक टालने की कोशिश कर रही थी, जब तक वे आम चुनाव में जीत गए होते. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश ने इस मामले को 2024 तक टालने के नवीन पटनायक सरकार के सभी प्रयासों पर पानी फेर दिया है.
आचार्य ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के साथ रत्न भंडार को फिर से खोलने के रास्ते की सभी बाधाएं दूर हो गई हैं. राज्य सरकार ने रिट याचिका के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश तो की लेकिन विफल रही. सबसे पहले, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि समीर मोहंती एक राजनीतिक व्यक्ति हैं और उन्होंने राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए रिट याचिका दायर की है. उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि समीर मोहंती के अधिकार क्षेत्र में यह आता है कि वे रत्न भंडार के संबंध में याचिका दायर कर सकते हैं.
श्रीमंदिर रत्न भंडार की सुरक्षा और निगरानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की जिम्मेदारी है. एएसआई ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि रत्न भंडार की सुरक्षा और जांच के लिए इसे जल्द से जल्द खोला जाना चाहिए और निरीक्षण किया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने भी एएसआई से सहमति व्यक्त की है और राज्य सरकार को दो महीने के भीतर एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का आदेश दिया है. बता दें कि वरिष्ठ भाजपा नेता, समीर मोहंती ने ओडिशा उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें श्रीमंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोलने और उसके अंदर रखे गए आभूषणों की सूची की मांग की गई थी.
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