भुवनेश्वर। ओडिशा को भारत की फार्मास्युटिकल राजधानी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने एक उच्च-स्तरीय फार्मा कॉन्क्लेव आयोजित करने की घोषणा की है. इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दवा निर्माताओं को आकर्षित कर राज्य में निवेश और 2.5 लाख से अधिक नौकरियां सृजित करना है. यह घोषणा शुक्रवार को भुवनेश्वर में 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान की गई.

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह कॉन्क्लेव फार्मा उद्योग के अधिकारियों, नीति निर्माताओं और निवेशकों के लिए एक नेटवर्किंग और निवेश मंच के रूप में काम करेगा. इसका लक्ष्य प्रमुख फार्मा कंपनियों को ओडिशा में विनिर्माण और अनुसंधान इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना है. यह पहल राज्य के आर्थिक परिदृश्य को बदलने और अगले कुछ वर्षों में फार्मा क्षेत्र में 2.5 लाख से अधिक रोजगार सृजित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में, मुख्यमंत्री ने ओडिशा की हालिया स्वास्थ्य उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि राज्य ने आयुष्मान भारत, गोपबंधु जन आरोग्य योजना और 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के लिए आयुष्मान बायो बंधना योजनाओं को एकीकृत कर 82% से अधिक आबादी को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान किया है. 

 इसके अलावा, बरहामपुर मेडिकल कॉलेज को ‘एआईआईएमएस-प्लस’ मानकों तक उन्नत करने की योजना है. साथ ही, ओडिशा के तीन सबसे बड़े मेडिकल कॉलेजों में मरीजों के परिचारकों के लिए 2,250 बजट बेड बनाए जाएंगे. माझी ने कहा कि ये निवेश स्वास्थ्य सेवाओं को विश्वस्तरीय और व्यापक रूप से सुलभ बनाने के लिए किए जा रहे हैं.

फार्मा हब पहल को सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों के पूरक के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि ओडिशा की चिकित्सा क्षमता को भी मजबूत करेगी. कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल और बरहामपुर के एमकेसीजी जैसे कई अस्पतालों को विश्वस्तरीय सुविधाओं में बदला जा रहा है.