गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही. शताब्दी के महान जिन साधक सुप्रसिद्ध दिगम्बराचार्य संत शिरोमणि श्री विद्यासागरजी महाराज के ससंघ सानिध्य में अमरकंटक की पावन धरा पर सर्वोदय जैन तीर्थ में नवनिर्मित भव्य और विशाल जिनमंदिर में विराजमान अष्टधातु की चौबीस टन की भगवान आदिनाथ की मनोज्ञ जिन प्रतिमा का बहुप्रतीक्षित श्री मज्जिनेन्द्र प्राणप्रतिष्ठा पंचकल्याणक गजरथ महामहोत्सव 25 मार्च से दो अप्रैल 2023 तक संपन्न होगा.

ओडिसी स्थापत्य शैली से निर्मित भव्य जिनमंदिर

समुद्र सतह से लगभग साढ़े तीन हजार फुट की ऊंचाई पर मैकल पर्वत माला के शिखर अमरकंटक में राजस्थान के बंसी पहाड़ के गुलाबी पत्थरों से ओडिसी शैली में निर्मित मंदिर को देखने भारत के कोने कोने से दर्शनार्थी अमरकंटक आ रहे हैं. आचार्य श्री विद्यासगर महाराज की प्रेरणा भावना और आशीर्वाद का यह अनुपम रूप है.

भारत की प्रचीन पध्दति से बने जिनालय के मूलभवन में लोहि और सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया. पत्थरों को तराश कर गुड़ के मिश्रण से आदिकालीन निर्माण की तकनीक का प्रयोग कर चिपकाया गया है. जिनालय में राजस्थानी शिल्पकारों की शिल्पकला अत्यंत मनमोहक है. दीवारों मंडप,स्तंभों पर बनी मूर्तियां देख दर्शक मोहित हो जाता है.

इस मंदिर की आधारशिला 6 नवंबर 2003 को भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर के ससंघ सानिध्य में रखी थी. लगभग बीस वर्षों के अनथक और अनवरत परिश्रम से भूतल से लगभग एक सौ सत्तर फुट ऊंचा ये विशाल और भव्य जिनमंदिर निर्मित हुआ है. भूकंप के प्रभाव से पूर्ण सुरक्षित आचार्य श्री की कल्पना का ये साकार रूप हजारों वर्ष के काल का साक्षी रहेगा.

अष्टधातु से चौबीस टन की ठोस प्रतिमा अष्टधातु के अट्ठाइस टन वजनी कमल पर विराजमान

ये विशेष जानकारी देते हुये सर्वोदय समिति के वेदचन्द जैन पेण्ड्रारोड ने बताया कि जैनधर्म के आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की जिन प्रतिमा चौबीस टन की है. अष्टधातु से ढली ये प्रतिमा ठोस रूप में अष्टधातु की संसार में सबसे वजनी प्रतिमा मानी जिती है.

भगवान आदिनाथ की यह प्रतिमा अष्टधातु के ही अट्ठाइस टन वजनी कमल पर विराजमान है. प्रतिमा और कमल का कुल वजन का योग बावन टन होता है. इस प्रतिमा के लिये पूरी राशि एक ही परवार द्वारा लगाई गई है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग निवासी जयश्री आइलमिल के उद्योगपति स्व.बाबूलाल जैन के परिवार जनों ने मूर्ति निर्माण अपनी राशि से कराकर पुण्यार्जन किया. 1994 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में यह मूर्ति ढाली गई थी.

श्री मज्जिनेन्द्र प्राणप्रतिष्ठा पंचकल्याणक एवं गजरथ महामहोत्सव

श्री वेदचन्द जैन ने आगे जानकारी दी कि जिनालय में स्थापित कीर्तिमान धारी भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का पंचकल्याणक महोत्सव आगामी 25 मार्च 2023 से 02 अप्रेल 2023 तक अमरकंटक की पावन भूमि पर आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में आयोजित किया जा रहा है. इस महोत्सव में भारत के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबियों सहित अन्य दर्शनार्थियों के अमरकंटक पहुंचने की संभावना है. आगंतुकों के आवास व भोजन के प्रबंध सर्वोदय तीर्थ समिति के अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के प्रमुख उद्योगपति प्रमोद सिंघई के नेतृत्व में समीपस्थ छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की जैन समाजों द्वारा सम्मिलित होकर की जा रही है.