नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए जज लोया मौत मामले के केस से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में ही करने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के दो केस को उच्चतम न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया है.
2 फरवरी को होगी सुनवाई
इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने की. सीजेआई दीपक मिश्रा की पीठ ने यह फैसला लिया है, कि अब जज लोया के केस की कोई भी अर्जी हाईकोर्ट में दायर नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया के मामले से जुड़े सभी पक्षों से कहा है कि वह दास्तावेजों को कोर्ट के समक्ष पेश करें. अब इस मामले की अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी.
नहीं होगी अब किसी भी हाईकोर्ट में सुनवाई
जज लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अब किसी भी हाईकोर्ट में इस मामले से जुड़ी सुनवाई नहीं होगी. बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित दो याचिकाओं को ही सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मामले की सुनवाई नियमानुसार होगी.
पत्रकार और कांग्रेस नेता ने लगाई थी याचिका
बता दें कि महाराष्ट्र के एक पत्रकार बंधुराज संभाजी लोने और कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जज लोया की मौत की निष्पक्ष जांच कराने जाए की मांग की थी.
जज लोया की मौत पर सवाल
सीबीआई के दिवंगत जज बी.एच.लोया की मौत पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं. उनकी मौत को रहस्यमयी मौत करार देते हुए मीडिया में भी इस पर काफी चर्चा हुई. हालांकि उनके बेटे अनुज लोया ने रहस्यमयी मौत के सवाल को गलत बताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनके पिता की मौत में साजिश की आशंका नहीं है.
जज लोया की मौत साल 2014 में हुई थी
48 साल के जज लोया दिसंबर 2014 में अपने साथी जज की बेटी की शादी में शामिल होने नागपुर गए थे. जहां उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया. डॉक्टरों ने मौत की वजह हार्ट अटैक को बताया था.
जज लोया देख रहे थे सोहराबुद्दीन केस
गुजरात पुलिस ने हैदराबाद से सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को साल 2005 में गिरफ्तार किया था. गुजरात पुलिस पर इन दोनों को फर्जी मुठभेड़ में मार डालने का आरोप है. 2006 में गुजरात पुलिस ने सोहराबुद्दीन शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति को भी मार डाला गया. प्रजापति को सोहराबुद्दीन मुठभेड़ का गवाह माना जा रहा था.इस मामले को 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया और 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति और सोहराबुद्दीन के केस को एक साथ जोड़ दिया. इस केस की सुनवाई शुरुआत में जज जेटी उत्पल कर रहे थे, लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश ना होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया. फिर केस की सुनवाई जज बी एच लोया ने की. लेकिन दिसंबर 2014 में नागपुर में उनकी मौत हो गई.