बालाजी सूर्य मंदिर मध्य प्रदेश में दतिया जिले के उन्नाव में स्थित है. यह मंदिर ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राचीन भी है. साथ ही यह अपने साथ कई किवदंतियों को समेटे हुए है. मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति यदि पहूज नदी में स्नान करने के बाद बालाजी मंदिर में सूर्य देव की प्रतिमा पर जल चढ़ाता है तो उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है.
नि:संतान को होती है संतान की प्राप्ति
माना जाता है कि यहां आने वाले नि:संतान दंपत्तियों को संतान का सुख मिलता है. प्रसिद्ध तीर्थ स्थान होने की वजह से दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर के निकट ही एक पवित्र जलकुंड है. कहा जाता है कि इस जल से स्नान करने पर तमाम दु:ख-दर्द मिट जाते हैं. इस स्थान को “बालाजी धाम” के नाम से भी जाना जाता है. यह दतिया मुख्यालय से 17 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. यह विश्वास किया जाता है कि उनाव बालाजी मंदिर प्रागैतिहासिक काल का है. लगभग चार सौ वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में संतान की चाहत रखने वाले श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. भगवान के दर्शन मात्र से संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है.
आषाढ़ शुक्ल एकादशी को रथयात्रा का होता है आयोजन
दतिया और झांसी सड़क मार्ग के पहूज नदी के किनारे पर आकर्षक और सुरभ्य पहाड़ियों में स्थित इस सूर्य मंदिर पर सूर्योदय की पहली किरण सीधे मंदिर के गर्भागृह में स्थित मूर्ति पर पड़ती है. इस प्राचीन मंदिर में प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है. यहां आषाढ़ शुक्ल एकादशी को रथयात्रा का आयोजन किया जाता है और प्रत्येक रविवार को मेला लगता है.
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