रायपुर- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ में आचार संहिता को बहाल किये जाने पर कांग्रेस द्वारा भाजपा को विकास विरोधी ठहराने का जवाब देते हुए कहा है कि कांग्रेस संवैधानिक व्यवस्थाओं को कोई सम्मान नहीं देती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस तो संवैधानिक प्रक्रियाओं से खिलवाड़ करती रही है. कांग्रेस कितना विकास करती है यह देश ने उसके पचास साल के शासन काल में देखा है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 100 दिन की सरकार ने यह अहसास करा दिया है कि विकास के नाम पर उसकी नजर कहां है.

कांग्रेस किसका विकास करना चाहती है, इसकी बानगी यह है कि कांग्रेस की सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ में विकास के सारे काम ठप हो गये. कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए. रेत, सीमेंट और शराब के कारोबार से चुनावी चंदा इकट्ठा किया गया. अकेले शराब कारोबार में ओव्हर रेट के जरिये प्रदेश की जनता से 200 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की गई. इसी तरह रेत  से तेल निकालने का कारोबार चलाया, सीमेंट के दाम बढ़वाकर चुनाव के लिए कई करोड़ रुपये बटोरे गए.

उसेंडी ने कहा कि प्रदेश को आर्थिक दिवालियेपन की कगार पर लाकर कांग्रेस की सरकार ने कांग्रेस के लिए चुनावी फंड का इंतजाम किया. प्रदेश की जनता ने कांग्रेस  को जनहित के काम और प्रदेश के विकास के लिए जनादेश दिया था, लेकिन कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने तीन माह में ही अपनी असली फितरत का परिचय देते हुए जनता को निराश कर दिया है. उन्हें जनता ने छत्तीसगढ़ के बाहर विकास का झूठा ढोल पीटने के लिए नहीं  चुना है। उन्हें जनता ने जो जिम्मेदारी दी है उसका निर्वाह करने की बजाय वे दूसरे प्रदेशों में छत्तीसगढ़ मॉडल ऐसे बता रहे हैं जैसे सत्ता में आते साथ ही उन्होंने प्रदेश की काया पलट कर दी हो.

प्रदेशाध्यक्ष उसेंडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को विकास का मॉडल तो भाजपा की डॉ. रमन सिंह सरकार ने बनाया और इसे देश और दुनिया ने सराहा. भूपेश बघेल ने तो कुर्सी सम्भालते ही विकास के गढ़ को अपराध गढ़ में तब्दील कर दिया है. जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार काबिज हुई है तब से अपराधों की बाढ़ आ गई है, विकास के काम तो दूर छोटी-छोटी विकास गतिविधियां भी अधर में लटक गई है. बघेल का राज्य के विकास और जनता के हित के प्रति कोई जिम्मेदाराना रवैया अब तक सामने नहीं आया है. दंतेवाड़ा में भाजपा विधायक की संदिग्ध राजनीतिक हत्या के मामले में भी भूपेश बघेल की सरकार जांच के नाम पर आचार संहिता का रोना रोती रही और हर तरह के मामलों में आचार संहिता का बहाना बनाया गया.

उसेंडी ने कहा कि जब भारत निर्वाचन आयोग के स्पष्ट निर्देश हैं कि संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया सम्पन्न होने तक आचार संहिता लागू रहेगी तो क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने मतदान के बाद आचार संहिता शिथिल करते हुए मंत्रियों को सुविधाएं और अधिकार बहाल कर दिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दबाव में आकर ही वह असंवैधानिक फैसला किया गया. जिसे भारत निर्वाचन आयोग ने रद्द किया. इससे साफ है कि छत्तीसगढ़ में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का दफ्तर कांग्रेस सरकार के इशारे पर काम कर रहा है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने चुनाव आयोग से यह मांग किया है कि वह छत्तीसगढ़ के चुनाव आयुक्त पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करे.