जांजगीर-चांपा. सक्ती में आए दिन किसी न किसी पंचायत में सरपंच सचिव के भ्रष्टाचार के कारनामे सामने आने लगे हैं, लेकिन अब तक इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार का पाठ पढ़ाने वाले भी सिस्टम के जिम्मेदार ही हैं. पहले जिम्मेदार उन्हें भ्रष्टाचार के तरीके बताते हैं, फिर उससे बचने के. कुल मिलाकर बोला जाए तो जनपद में इनकी दुकानदारी सेट है.

कई ऐसे जनपद पंचायत कार्यालय हैं, जहां 30 साल से अधिकारी-कर्मचारियों का तबादला नहीं हुआ है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सक्ती जनपद है. अब इसे शासन-प्रशासन की लापरवाही कहें या मजबूरी, लेकिन इन 30-35 साल में ज्यादातर अधिकारी-कर्मचारियों ने अपनी दुकानदारी सेट कर ली है.

सक्ती जनपद अंतर्गत डुमरपारा ग्राम पंचायत का नाम ऐसी ही भ्रष्ट पंचायतों में सबसे ऊपर है, क्योंकि यहां सरपंच सचिव ने सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पंचों की शिकायत पर 5 महीने पहले तहसीलदार की टीम ने 15वें वित्त के कार्यो का भौतिक सत्यापन किया था, जिसमें साढ़े 10 लाख 83 हजार रुपये भ्रष्टाचार उजागर हुआ था, लेकिन हैरत की बात ये है कि 5 महीने बाद भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यहां तक कि उनके वित्तीय अधिकार तक नहीं हटाए गए हैं.

गौठान के लिए आई राशियों में बंदरबांट

जनपद पंचायत सक्ती के 73 पंचायतों में ज्यादातर पंचायतों में गौठान निर्माण के लिए लाखों रुपये स्वीकृत किए गए हैं. कई ऐसे गौठान हैं जिसके लिए 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक स्वीकृत हुआ है. लेकिन इन गौठान का लाभ पशुओं से ज्यादा यहां के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को मिल रहा है. कई गौठान ऐसे हैं जहां न तो पानी है, न चारा है. केवल कागजो में शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन कर बंदरबांट करने का खेल चल रहा है.

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