लंदन। एक तरफ भारत मानसून की वजह से पूरी तरह से तरबतर है, वहीं दूसरी ओर यूरोप में सूखा पड़ा हुआ है. आलम यह है कि 12 महीनों बहने वाली नदियां में अब पतली धार बह रही है. इसका आम लोगों पर असर तो पड़ ही रहा है, लेकिन नदियों के सूखने से पानी में सदियों से डुबी ऐतिहासिक महत्व की चीजें के साथ खजाने और कुछ अजीब चीजें अब सामने आने लगी हैं.

स्पेन में प्रागैतिहासिक पत्थरों से बना एक घेरा ‘स्पैनिश स्टोनहेंज’ मिला है. अब तक पानी के अंदर छिपा यह रहस्य अब सबके सामने आ गया है. इसे आधिकारिक तौर पर डोलमेन ऑफ़ ग्वाडलपेरल के तौर पर जाना जाता है. पत्थर का यह घेरा कैसेरेस प्रांत के केंद्र में वाल्डेकानस रिज़रवॉयर के एक कोने में है, जो अब पूरी तरह से खुला है. 1926 में जर्मन पुरातत्वविद् ह्यूगो ओबरमायर ने इसे खोजा था, लेकिन 1963 में फ्रांसिस्को फ्रेंको के शासन काल में इलाके में बाढ़ के बाद से अब तक इसे केवल चार बार पूरी तरह से दिखा गया है.

दिखाई दिए ‘हंगर स्टोन्स’

जर्मनी में राइन नदी के सूखने से ‘हंगर स्टोन्स’ नजर आने लगे हैं. जर्मनी की सबसे बड़ी नदी के किनारे ऐसे कई पत्थर दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें सिर्फ भयानक सूखे में ही देखा जा सकता है. इन पत्थरों के दिखाई देने को लोग बुरे समय की चेतावनियों के रूप में देख रहे हैं. इन पर लिखी तारीखों और बातों से पता लगता है कि सालों पहले भी जब सूखा आया तो लोगों ने कितनी कठिनाइयों का सामना किया होगा. फ्रैंकफर्ट के दक्षिण में वर्म्स और लीवरकुसेन के पास रेनडॉर्फ में देखे गए पत्थरों पर दिखाई देने वाली तिथियों में 1947, 1959, 2003 और 2018 शामिल हैं.

दूसरे विश्व युद्ध डूबे युद्धपोतों मिले

नदी सूखने से प्राहोवो शहर के पास सर्बिया के रिवर पोर्ट पर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 20 से ज्यादा जर्मन युद्धपोतों के डूबने का पता चला है. इटली ने पो नदी के आसपास के इलाकों के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है. जुलाई के अंत में इटली की इस सबसे लंबी नदी के बहते पानी में पहले से जलमग्न 450 किलो के विश्व युद्ध समय के दो बम पाए गए थे. बम मिलने पर पास के गांव में रहने वाले करीबन 3,000 लोगों हटाया गया, जिसके बाद सेना के विशेषज्ञों की मदद से बम को डिफ्यूज़ कर नियंत्रित तरीके से विस्फोट किया गया.

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