पुष्पेंद्र सिंह, दंतेवाड़ा। दक्षिण बस्तर के माओवाद प्रभावित इलाके में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत हो रहे सड़क निर्माण में बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. जहां सड़क निर्माण के एवज में अधिकारी और ठेकेदार ने बड़ा खेल करते हुए करोड़ों रुपये गबन कर लिए. दरअसल, पालार पेरमापारा से मुलेर पहुंच मार्ग पैकेज क्रमांक 154 के बीच सड़क का निर्माण होना था, लेकिन यहां 16 किलोमीटर लंबी सड़क में मुरम और मिट्टी से महज साढ़े सात किलोमीटर का ही काम किया गया है. जबकि अधिकारी और ठेकेदार ने मेजरमेंट बुक में 10 किलोमीटर सड़क का ब्योरा भरा और विभाग से तीन करोड़ 90 लाख रूपये भी निकाल लिए.

इस मामले को लेकर विभाग से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का दावा है कि ढाई किमी सड़क का पैसा विभाग और कांग्रेस से जुड़े ठेकेदार ने मिलकर हड़प कर लिया है. वहीं विभाग के अधिकारियों से इस विषय पर चर्चा करने भर से हाथ पांव फूल रहे हैं. अहम बात ये है कि सुरक्षा के साए में बनी मुरूम मिट्टी की सड़क पर भ्रष्टाचार की चादर को खूब चढ़ाया गया है. करोड़ों रूपये का गबन ठेकेदार और अधिकारी ने मिल कर किया है. माओवाद की आड़ में ऐसे कई कारनामों को पहले भी अंजाम दिया गया है. सड़क में भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त है. इस सड़क के विषय में जब तत्कालीन ईई संतोष नाग से चर्चा की तो उन्होंने कहा मृत सब इंजीनियर अरुण मरहाबी ने मेजरमेंट बुक भरी और एसडीओ पटेल ने भौतिक सत्यापन किया है. यदि मौके पर सड़क 10 किलोमीटर सड़क नहीं है तो ठेकेदार से विभाग रिकवरी कर सकता है.

स्लेब-पुलियों की जगह पाईप पुलियों का हुआ निर्माण

यह मामला सड़क की दूरी खा जाने तक ही सीमित नहीं है. बल्कि इस सड़क पर स्लेब पुलियों का निर्माण किया जाना था. लेकिन ठेकेदार (कांग्रेस नेता) और विभाग के अधिकारियों ने मिलकर पाइप पुलियों का निर्माण करवा दिया. इस सड़क पर आठ पुलियों का निर्माण हुआ है. जिसमें सिर्फ एक पुलिया ही स्लेब डालकर बनाई गई है. इतना ही नहीं सड़क बनाने के लिए भी आस-पास की मिट्टी को अवैध तरीके से खोदकर सड़क तैयार करवाई गई. ठेकेदार ने सड़क बनाने के लिए जंगलों का भी दोहन किया और बिना परमिशन कई पेड़ काट डाले.

इन सड़कों की निविदा अधिकारियों ने ऑफिस में छापी, संवाद नंबर भी फर्जी

बता दें कि गीदम-बीजापुर सड़क मार्ग निर्माण कार्य के लिए कुल 30 किलोमीटर तक टेंडर जारी किया गया था. जिसमें फरसमुदुर और पोंदुम से पटेपारा होते हुए बतुमपारा तक 8 करोड़ 42 लाख रुपये का टेंडर जारी किया गया था. वहीं मोखपाल से छोटे गुडरा की सड़क का ठेका टेंडर से 10 प्रतिशत अधिक रेट पर 6 करोड़ 78 लाख रुपये का लिया गया था. डामर रोड जो कि, माहराकरका से छोट हड़मा मुंडा तक है, जिसकी कुल लागत 4 करोड़ 46 लाख रूपये है. इन सडक़ों की निविदा अधिकारियों ने कार्यालय के सिस्टम में फर्जी तरीके से तैयार की. साथ ही संवाद नंबर भी तैयार किया.

कार्यालय से महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ संवाद को पत्र भी लिखा गया था, लेकिन यह पत्र उस कार्यालय तक भेजा ही नहीं गया. निविदा की पूरी प्रक्रिया फर्जी तरीके से कार्यालय में पूरी कर को वर्क ऑर्डर चहेते ठेकेदारों थमा दिया गया. इन कामों को लेकर विभाग ने ठेकेदारों को करोड़ों रुपए एडवांस भी दिए. इस मामले की जानकारी जब कलेक्टर को लगी तो उन्होंने सभी कामों को निरस्त कर दिया। लेकिन बड़ा सवाल है कि, जो लोग इस पूरी साजिश का हिस्सा थे, उन पर क्या कार्रवाई होगी। क्या ठेकेदारों से इस फर्जीवाड़े की रिकवरी होगी और इन पर क्या कार्रवाई की जाएगी. इन सड़कों में भ्रष्टाचार करने वाले कई सफेदपोश नेता ही ठेकेदार हैं.

जांच के बाद होगी कार्यवाही – विधायक अटामी

इस मामले के उजागर होने के बाद विधायक चैतराम अटामी ने दो टूक शब्दों में कहा, जिन सडक़ों में भ्रष्टाचार सामने आ रहा है वो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की है. कलेक्टर के जैसे ही संज्ञान में आया चार सड़को को निरस्त कर दिया गया. विधायक चैतराम ने कहा कि जिन सड़को में भ्रष्टाचार हुआ है उन सभी की जांच होगी. भ्रष्टाचार में जो भी अधिकारी कर्मचारी ठेकेदार शामिल है, उन सभी पर कार्रवाई होगी. किसी को भी नही बख्शा जाएगा.

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