जगदलपुर।  बस्तर दशहरा की पहचान पूरे देश और विदेश में है और बस्तर की आदिवासी संस्कृति की झलक देखने बाहरी सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं जिसको देखते हुए बस्तर दशहरा को आदिवासी संस्कृति के आधार पर करने का प्रयास किया जाएगा वही बस्तर दशहरा के दौरान बस्तरिया और छत्तीसगढ़िया कलाकारों को महत्त्व दिया जाएगा उक्त बातें सिरहासर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान सांसद दिनेश कश्यप ने कहीं।
सांसद कश्यप ने बताया कि प्रति वर्ष की भांति दशहरा का आगाज हरियाली अमावस्या के दिन से पाठ जात्रा रस्म के प्रारंभ हो गया है और आगामी दशहरा के कार्यक्रमों की तैयारियां युद्ध स्तर पर प्रारंभ कर दी गई है जिसके तहत बैठकों का दौर जारी है! बस्तर दशहरा में यह ख्याल रखा जाएगा कि आदिवासी संस्कृति पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं और आदिवासी परिवेश के आधार पर ही कार्यक्रम होंगे।

गोंचा वन के बाद दशहरा वन
बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने कहा है कि जिस प्रकार मालकांगनी फल की कमी को देखते हुए नानगुर क्षेत्र में कौन सा वन की स्थापना की जा रही है उसी प्रकार बस्तर दशहरा के दौरान बनाए जाने वाले रथ के लिए काटी जाने वाली लकड़ी साल वन तैयार करने के लिए 10 राम वन बनाया जाएगा।

मांझी मुखियों को नहीं हो रही किसी प्रकार की कमी
बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने मांझी मुखियों को समय पर वेतन नहीं मिलने की शिकायत का खंडन करते हुए कहा कि दशहरा के समय एक बार एकमुश्त राशि उन्हें दी जाती है और कई प्रकार की सुविधाएं भी उन्हें मिलती है क्योंकि मांझी अलग अलग क्षेत्रों से आते हैं और वह खास कर दशहरा के दौरान ही एकजुट होते हैं।
कई घोषणाएं अमल कई काम करना शेष बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने कहा है कि गत वर्ष दो आश्रय बनाने की घोषणा मेरे द्वारा की गई थी किंतु उस दौरान जिया डेरा के मरम्मत में राशि खर्च हो गई जिससे उप घोषणाएं अमल नहीं लायी जा सकी  अब आगामी दिनों में आश्रय बनाने के लिए फंड दिया जाएगा। बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष और सांसद दिनेश कश्यप उपाध्यक्ष लच्छु कश्यप सचिव व डिप्टी कलेक्टर और प्रभारी तहसीलदार डी एस मंडावी नायब तहसीलदार डी एस बघेल नायब तहसीलदार मलय विश्वास  बलराम मांझी कैलाश मांझी राजस्व निरीक्षक अर्जुन श्रीवास्तव उपस्थित थे!