रायपुर- बस्तर में स्टील प्लांट खोलने भूपेश सरकार की दी गई सहमति पर सियासत उठ खड़ी हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा है कि औद्योगिकीकरण की बात आज सरकार को समझ आ रही है. कल तक झंडा लेकर बस्तर में उद्योग न लगाने के नारे लगाते रहे, विरोध किया जाता रहा, लेकिन अब उन्हें समझ आ रहा है कि बस्तर में स्टील प्लांट की जरूरत क्यों है. अब उन्हें धीरे-धीरे बुद्धि आती जा रही है.

डाॅक्टर रमन सिंह ने ट्वीट कर सवाल उठाया कि, जो पहले गलत था, वो अब सही कैसे, जो अब सही है, वो पहले गलत कैसे? दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री का इशारा टाटा को स्टील प्लांट के लिए दी गई जमीन को लेकर था. रमन सरकार के दौरान प्लांट के लिए जमीन टाटा को दिया गया था, जिसे भूपेश सरकार के आने के बाद आदिवासियों को लौटा दिया गया. रमन सिंह ने कहा कि हमारी इच्छा थी कि अन्य स्टील प्लांट बस्तर आए. यहा अच्छी क्वालिटी का आयरन ओर बहुत है, लेकिन यहां का आयरन ओर विदेश जाता है. देश के दूसरे प्लांट्स में जाता है. हमने टाटा को जगह दी थी. आज टाटा का विरोध करने वाले लोग 5 प्राइवेट इनवेस्टर को आमंत्रित करने की बात कर रहे हैं. उन्होंने पूछा कि भूपेश सरकार यह बताए कि स्टील प्लांट लगाएंगे तो जमीन तो लेना पड़ेगा. भू अधिग्रहण करना होगा. हर स्टील प्लांट के लिए एक हजार एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी. पांच प्लांट के हिसाब से पांच हजार एकड़ स्टील प्लांट चाहिए होगा.

रमन सिंह ने कहा कि टाटा ग्रुप ने एक अभूतपूर्व परिवर्तन जमशेदपुर में किया था. वहां की जीवन शैली बदली थी. एक रेपुटेड कंपनी को हमने बस्तर में स्टील प्लांट खोलने आमंत्रित किया था. अब ये कौन से रेपुटेड उद्योग को वहां लाने जा रहे हैं. ढूंढने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब भिलाई में स्टील प्लांट बना था, तब बस्तर में भी प्लांट लगाने की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन तब नेहरू जी ने वहां स्टील प्लांट नहीं लगने दिया. हमने बस्तर के स्वाभिमान और उनकी मांग पर काम किया. बस्तर में उच्च कोटि का आय़रन ओर है. हमने नगरनार स्टील प्लांट तैयार किया. रिकार्ड समय में बनकर तैयार हुआ. एक नए युग में बस्तर प्रवेश कर रहा है. आगामी चार पांच महीने में उत्पादन शुरू हो जाएगा. यह अपने आप में चमत्कार था. सरकार की इच्छाशक्ति थी.