कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। सीएम शिवराज द्वारा भगवान परशुराम के जीवन चरित्र को पाठ्यक्रम में शामिल करने घोषणा की है। इस घोषणा को लेकर शिक्षाविद रिटायर्ड प्रिंसिपल आनंद गौर का कहना है कि आज जिस तरह भगवान परशुराम की जयंती पर सीएम द्वारा पाठ्य पुस्तकों में भगवान परशुराम के चरित्र वर्णन, चित्रण को लेकर जो घोषणा की है उसका सभी प्रदेशवासी स्वागत कर रहे हैं।
लेकिन यह भी देखने में जरूर आया है कि हमारे मुख्यमंत्री जहां जहां भी कार्यक्रम में जाते हैं। विशेषकर क्षत्रिय समाज, आदिवासी समाज एससी-एसटी समाज, उनके धर्म गुरुओं के बारे में हमेशा कहते हैं कि उन्हें पाठ्यपुस्तक में लिया जाएगा। जबकि हकीकत यह है कि पहले समय में महारानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों का जीवन चरित्र पाठ्य पुस्तकों में था जिसे समाप्त कर दिया गया। आज बच्चे उन्हें भूल चुके हैं। सिर्फ इन्हीं 3 नाम की बात नहीं है सभी क्रांतिकारियों का जीवन चरित्र वर्णन समाप्त कर दिया गया है।
अब हमारी नई शिक्षा नीति आ रही है जिसमें भारतीय और भारतीयता के बारे में बच्चों को ज्ञान दिया जाएगा। ऐसे में वहां पर भगवान परशुराम के अलावा अन्य धर्म गुरुओं के जीवन के बारे में पाठ्य पुस्तकों में स्थान मुख्यमंत्री द्वारा देना मुझे कम ही लगता है। यदि वह स्थान देते हैं तो यह बहुत अच्छी बात होगी। हम इसका स्वागत करेंगे क्योंकि वह घोषणाएं तो बहुत करते हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन 1 प्रतिशत ही करते हैं।
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