सुप्रिया पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ की एक निजी संस्था ने पुरूष आयोग बनाए जाने की मांग की है. संस्था का दावा है कि महिलाओं की तुलना में पुरूष उत्पीड़न के ज्यादा शिकार हो रहे हैं. अब तक 2000 ऐसे मामले सामने आए है जिसमें पुरूष प्रताड़ित हुए है. कुछ मामलों में पुरूषों ने मानसिक तनाव से ग्रसित होकर की खुदकुशी की है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जारी आंकड़े भी यही कहते है कि वर्ष 2019 में 66,815 विवाहित पुरूषों ने आत्महत्या की है. वहीं महिलाओं के आत्महत्या का ग्राफ आधे से भी कम है.
चक्रव्यूह वेलफेयर संस्था के प्रदेश अध्यक्ष पंकज चावला ने पुरुष आयोग बनाने को लेकर कहा कि पुरुष अपनी समस्या किसी से कह नहीं पाते, उनके पास अपनी बात रखने के लिए कोई मंच ही नहीं बना है. पुरूषों को भी दर्द होता है, लेकिन वे कही न कही अपनी बातें किसी से नहीं कह पाते है. पुरूष परिवार की एक धुरी होता है, जिसे एक मजबूत शख्सियत माना जाता है, लेकिन उनका दर्द कोई नहीं सुनता इसलिए हमारी मांग है कि पुरूष आयोग बनाया जाए.
पीके महापात्र ने कहा कि महिलाओं को सभी प्रकार की सुविधाएं मिलती है, लेकिन पुरुषों को कोई सुविधा नहीं मिलती. एक मामला मेरे ही घर का है, जहां मेरी बहू ने मेरे बेटे पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था. उस पर धारा 498 के तहत मामला दर्ज था. भरण पोषण के लिए रकम भी मांगी गई और तलाक का केस भी चला. केस लड़ते-लड़ते मेरे बेटे को हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई. वहीं महिला ने दूसरी शादी कर ली.
वही मनोज चौधरी ने बताया कि पत्नी से प्रताड़ित पुरुष बहुत मिल रहे है. हमारी संस्था में हर हफ्ते 2 से 4 लोग आते है, जिस तरीके से हमारे देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान चलाया जाता है उसी तरीके से पुरुष के हित में भी कुछ ना कुछ अभियान भी चलना चाहिए, ताकि पुरुष भी अच्छी जिंदगी जी सकें और अपनी बात दुनिया के सामने रख सके. कोई भी घटना होती है तो समाज के लोग पुरूष को ही गलत मान लेते है. पुरूषों के खिलाफ लोगों की ऐसी मानसिकता बन गई है जिसे सुधारने की जरूरत है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जारी आंकड़े भी यही कहते है कि वर्ष 2019 में 66,815 विवाहित पुरूषों ने आत्महत्या की है. वहीं महिलाओं के आत्महत्या का ग्राफ आधे से भी कम है.
चक्रव्यूह वेलफेयर एक ऐसी संस्था है जो समाजिक कार्य करती है आमतौर पर सभी वर्ग के लोग अपनी शिकायत लेकर संस्था के पास पहुंचते है, ये संस्था विशेष रूप से पुरूषों के हित में कार्य करती है साथ ही यहां पारिवारिक विवाद भी सुलझाया जाता है. 2003 से ये संस्था काम कर रही है.